एक शिक्षित महिला न केवल घर, बल्कि समाज में भी बदलाव ला सकती है। यह बात सच साबित कर दिखाई है हरियाणा के लांधड़ी गांव की सरपंच किरण बाला ने। इन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में न केवल गांव को स्वच्छता के मामले में अव्वल बनाया, बल्कि सरकारी स्कूल को भी प्राइवेट से बेहतर बना दिया। उनके इस काम की तारीफ गांव के लोगों के साथ जिला प्रशासन भी कर रहा है।
नई दिल्ली। हरियाणा के लांधड़ी गांव में रहने वालीं किरण बाला पांच साल पहले सरपंच बनने के बाद से ही पंचायत के विकास में जुट गईं। उनका सबसे ज्यादा जोर शिक्षा और स्वच्छता पर रहा। उन्होंने अपने पांच साल के कार्यकाल में पंचायत में तकरीबन 10 करोड़ रुपये से अधिक का काम कराया है। सरपंच किरण बाला के प्रयासों का ही नतीजा है कि आज लांधड़ी गांव का सरकारी स्कूल शिक्षा और सुविधा के मामले में प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। गांव की सफाई व्यवस्था शहरों से कम नहीं है। किरण बाला जब सरपंच बनी थीं, तो गांव की सड़कें कच्ची थीं, स्कूल खस्ता हाल था। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे रहते थे। शाम ढलते ही गांव में अंधेरा पसर जाता था। गांव की ज्यादातर गलियों में स्ट्रीट लाइट नहीं थी, जहां थी भी वह खराब पड़ी थी। किरण बाला ने सरपंच बनने के बाद सबसे पहले गांव की हर गली को पक्का कराया, स्ट्रीट व हाई मास्क लाइटों की व्यवस्था कराई। पंचायत में रोजाना झाड़ू लगे और कचरा उठे यह व्यवस्था सुनिश्चित कराई। साफ पानी के लिए टंकी का निर्माण कराने के साथ ही हैंडपंप लगवाए। बच्चों-बुजुर्गों की सुविधा के लिए पार्क बनावाया। इसके साथ ही पंचायत घर का निर्माण, स्कूल की बिल्डिंग की मरम्मत कराकर उसे प्राइवेट स्कूल की तरह बनवाया।
स्कूल में सुविधाएं देख आप रह जाएंगे हैरान
लांधड़ी गांव का राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का निर्माण साल 1933 में हुआ था। उस जमाने में यह आस-पास का इकलौता स्कूल था। इस स्कूल में छात्रावास की भी सुविधा थी। इस कारण आस-पास के दर्जनों गांव के विद्यार्थी यहां पढ़ने आते थे। समय के साथ इस स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होती गई और शिक्षा व्यवस्था बेपटरी। पूर्व के सरपंचों और शिक्षा विभाग ने भी कभी इसकी सुध नहीं ली। किरण बाला ने सरपंच बनने के बाद स्कूल स्टाफ से बातचीत कर स्कूल को अपग्रेड करने का फैसला लिया। पंचायत और स्कूल प्रबंधन के बेहतर तालमेल का ही नतीजा है कि यह स्कूल आज निजी स्कूलों को मात दे रहा है। स्कूल की शानदार बिल्डिंग देखकर आपको एकबारगी यकीन नहीं होगा कि यह सरकारी है। स्कूल की रंगबिरंगी दीवारें, हरा-भरा प्रांगण, सीसीटीवी, विद्यार्थियों के लिए लैब की सुविधा, बिजली के लिए सौर ऊर्जा का प्लांट तक यहां मौजूद है। बच्चों के लिए यहां वाटरकूलर, खेलने के लिए तमाम तरह की खेल सामग्री भी मौजूद है।
बेटियों की शिक्षा के लिए लगातार कर रहीं प्रयास
सरपंच किरण बाला बेटियों की शिक्षा के लिए भी लोगों को जागरूक कर रही हैं। वह पंचायत के लोगों को बेटियों को स्कूल भेजने के लिए तो प्रेरित करती ही हैं, उन्हें खेल प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए भी प्रेरित करती हैं। सरपंच किरण के प्रयासों का ही नतीजा है कि गांव ही तकरीबन हर बच्ची आज शिक्षित है। वह महिलाओं को भी रोजगार के लिए प्रेरित करती हैं। इसके लिए स्वसहायता समूहों का गठन भी गांव में किया गया है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.