ऑस्ट्रेलिया की पूर्व कप्तान लीजा स्टालेकर को इंटरनेशनल किक्रेट कांउसिल ने हॉल ऑफ फेम में शामिल किया है। लीजा भारत में जन्मीं हैं और खुद अपना मुकाम बनाया है।
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया की स्टार क्रिकेट खिलाड़ी लीजा स्टालेकर की सफलता की कहानी कम फिल्मी नहीं हैं। लीजा खुद इस बात को स्वीकार करती रहीं है कि उनके लिए सब एक चमत्कार जैसा रहा है। जो भी लीजा के जीवन के बारे में जानता-सुनता है, वो उनकी सफलता और मेहनत का कायल हो जाता है। लीजा का जन्म 13 अगस्त 1979 को हुआ। जन्म के बाद ही उन्हें कोई पुणे के अनाथ आश्रम में छोड़ गया। उनके माता-पिता कौन हैं, कौन उन्हें छोड़कर गया, किसी को पता नहीं था। तीन हफ्ते की इस नन्हीं बच्ची पर स्टालेकर परिवार की नजर पड़ी उन्होंने उसे गोद ले लिया। ये दंपती मिशिगन के रहने वाले थे। हरेन जो खुद मुंबई में पैदा हुए थे और उनकी पत्नी सोए स्टालेकर विदेशी थीं। स्टालेकर को लेकर दोनों अमेरिका आ गए। जब लीजा बड़ी हुईं, तो उन्हें क्रिकेट का शौक लग गया। हालांकि भारतीय क्रिकेट के दीवाने होते हैं, तो लीजा को भी क्रिकेट खून में बसा हुआ था। जब वो नौ साल की थीं ,तो क्रिकेट खेलना चाहती थीं और उन्होंने ये बात अपने पिता डॉ. हरेन स्टालेकर को बताई। हालांकि पिता ने लीजा को घर के पिछवाड़े अच्छा क्रिकेट खेलते देखा था, तो वो लीजा को मना नहीं कर सके। क्रिकेट के स्थानीय क्लब में छह सौ लड़कों के बीच लीजा अकेली लड़की थीं, जिनका चयन हुआ था। उनके क्रिकेट खेलने की शुरुआत लड़कों के साथ हुई। 13 साल की उम्र में उन्हें गॉर्डन विमेंस क्रिकेट क्लब से इंट्रोड्यूस कराया गया, तब उन्हें पता चला कि महिलाएं भी अपने देश के लिए क्रिकेट खेल सकती हैं। 29 जून 2001 में ऑस्ट्रेलिया की तरफ से इंग्लैंड के खिलाफ लीजा ने अपने डेब्यू मैच खेला। इस मैच के बाद लीजा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
दाएं हाथ से बैटिंग और बाएं हाथ से बोलिंग
लीजा ऐसी कमाल की महिला क्रिकेटर हैं, जो दाएं हाथ से बैटिंग और बाएं हाथ से बोलिंग करती रहीं हैं। ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट में लीजा एक ऐसा नाम है, जिन्होंने सबसे ज्यादा 125 वनडे मैच खेले हैं। लीजा ने आठ टेस्ट और 54 टी20 मैच भी खेले हैं।
क्रिकेट में चढ़ीं सफलता की सीढ़ी
लीजा चार बार विमेंस वर्ल्ड कप चैम्पियंस में शामिल रहीं। जिसमें दो वनडे वर्ल्डकप और दो टी-20 वर्ल्डकप शामिल हैं। 2008-09 में जब आईसीसी रैंकिंग इंट्रोड्यूस हुई तो लीजा को दुनिया की लीडिंग ऑल-राउंडर के तौर पर रेट किया गया। तीन अंतरराष्ट्रीय शतक भी लीजा के नाम हैं। इतना ही नहीं, लीजा वनडे मैचों में 1000 रन और 100 विकेट लेने वाली पहली महिला क्रिकेटर भी रही हैं। लीजा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 3,913 रन बनाए हैं और 229 विकेट भी झटके हैं। जब वो रिटायर हुईं तो महिला एक दिवसीय मैचों में 10वें नंबर की सबसे अधिक रन बनाने वाली खिलाड़ी थीं और ऑस्ट्रेलिया की तीसरे नंबर की सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी भी हैं। रिटायर होने के बाद लीजा क्रिकेट कमेंटेटर के तौर पर अपनी नई पारी शुरू कर चुकी हैं। भारत में क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लॉस्टर सचिन तेंदुलकर उनकी उपलब्धियों पर उन्हें बधाई भी दे चुके हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.