लीजा के दिमाग की सर्जरी होनी है और इस सर्जरी का पैसा एकत्र करने के लिए लीजा अपनी मां की बेकरी में नींबू पानी बेचकर पैसे जमा कर रही हैं।
नई दिल्ली। नौकरी पर संकट आया तो लोग हार मान लेते हैं। परिवार का कोई सदस्य असमय चला गया तो लोग टूट जाते हैं। परेशानियां होती हर किसी की जिंदगी में है, लेकिन समस्याओं से टूटकर बिखर जाना समाधान नहीं है। उनका डटकर सामना करना ही जीत का कारण बनता है। कुछ लोग ऐसे होते हैं, जो जीवन में आगे बढ़ने की राह दिखाते हैं, उन्हीं हार न मानने वाले लोगों में से एक हैं सात साल की लीजा। यूएस के अलबामा की रहने वाली लीजा को दिमाग की सर्जरी के लिए पैसा चाहिए और इसके लिए वो खुद ही छोटी उम्र में बड़े काम कर रही हैं।
मां की बेकरी में बेचती हैं नींबू पानी
7 साल की ये बच्ची एक बच्ची लीजा स्कॉट सेरेब्रल मैलफॉर्मेशन नाम बीमारी से पीड़ित है और उसके दिमाग में कई जगह दिक्कत है और इसको दूर करने के लिए सर्जरी की जरूरत है। लीजा इसके लिए पैसा जोड़ने के लिए अपने मां की बेकरी में नींबू पानी बेचती हैं, ताकि मां के ऊपर पड़ने वाले बोझ को कम किया जा सके। अमेरिका के अलबामा में सेवेजे बेकरी में लोग जितने ग्लास नींबू पानी पीते हैं, लीजा को उतनी मदद मिलती है। लीजा के इस जज्बे को देखकर उनकी मदद के लिए कई लोग आगे भी आए हैं और उनकी आर्थिक मदद भी की है। लीजा की सर्जरी बॉस्टन चिल्ड्रन हॉस्पिटल में की जाएगी।
नहीं मानी है लीजा ने हार
लीजा को पता है कि वो गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं, लेकिन वो बिल्कुल भी निराश नहीं हैं और अपनी मां को हौसला देती हैं। वो कती हैं कि भगवान उनको ताकत देता है। उनकी तीन सर्जर की जाएंगी, लेकिन लीजा हिम्मत के साथ खड़ी हैं। इस बीमारी के कारण उनको नींद नहीं आती। वो चर्च में जाकर भगवान से प्रार्थना करती हैं। उनका कहना है कि इससे उन्हें हिम्मत मिलती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.