सऊदी की महिला कार्यकर्ता लुजैन अल-हथलौल को तीन साल बाद जेल से रिहा किया गया है। उन्हें यह रिहाई भी वैश्विक दबाव के बाद मिली है हालांकि रिहा होने के बाद भी उन पर कई तरह के प्रतिबंध सऊदी सरकार ने लगा दिए हैं। हथलौल ने सऊदी में महिलाओं की ड्राइविंग पर लगे प्रतिबंध को खत्म करने के लिए अभियान शुरू किया गया था। जिसके बाद उन्हें कई अन्य आरोप लगाकर कैद कर दिया गया था।
नई दिल्ली। सऊदी अरब में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ने वाली मुख्य महिला कार्यकर्ता लुजैन अल-हथलौल को जेल से तीन साल बाद रिहा कर दिया गया। मानवाधिकार की आवाज को दबाने के चलते सऊदी अरब पर उनकी रिहाई के लिए अमेरिका समेत कई देशों का दबाव रह चुका है। समझा जाता है कि इसी दबाव के चलते उन्हें रिहा करने का फैसला लिया गया लेकिन रिहाई के बावजूद उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए हैं।
सऊदी अरब में महिलाओं की ड्राइविंग पर लगे प्रतिबंध को खत्म करने के लिए दबाव बनाने वाली हथलौल को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और पिछले साल दिसंबर में उन्हें आतंकरोधी कानून के तहत छह वर्ष की जेल की सजा सुनाई गई। उन पर इंटरनेट का इस्तेमाल कर अव्यवस्था फैलाने, विदेशी एजेंडा चलाने और आंदोलन चलाने के आरोप थे। इन्हें लेकर हथलौल ने 1001 दिन सऊदी जेल में बिताए। उनकी बहन लीना अल-हथलौल ने एक वीडियो कॉल पर लुजैन को दिखाते हुए बताया कि ‘वह प्रोबेशन के साथ घर पर हैं, वह आजाद नहीं हैं’। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। लुजैन को न तो सऊदी अरब छोड़ने की अनुमति है और न ही उसे दोबारा गिरफ्तार करने से छूट मिली है। उसे स्वतंत्र होकर कुछ भी बोलने की भी मनाही है। इस मुद्दे पर फिलहाल सऊदी सरकार ने कोई टिप्पणी नहीं की है।
जेल में प्रताड़ना व यौन दुर्व्यवहार के भी आरोप
लुजैन अल-हथलौल ने अपनी गिरफ्तारी के कुछ दिनों बात परिजनों को बताया था कि जेल में उन्हें न सिर्फ प्रताड़ित किया गया बल्कि उनके साथ यौन दुर्व्यवहार भी हुआ। उन्होंने बताया था कि जेल में उन्हें बिजली के शॉक दिए गए, उन्हें पोर्न दिखाया गया और पिटाई के साथ दुष्कर्म की धमकी भी दी गई। हालांकि सऊदी सरकार ने लगातार इन आरोपों से इनकार किया है।
अमेरिका व संयुक्त राष्ट्र ने भी बनाया दबाव
रिहा होने के बाद लुजैन अल-हथलौल ने चुप्पी साध रखी है और इसे उनकी रिहाई की शर्त माना जा रहा है। उनकी रिहाई के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी सऊदी अरब पर दबाव बनाते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को कायम रखने पर जोर दिया है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने भी इसे गलत ठहराया था। संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक मानवाधिकार समूहों ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा की थी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.