Aparajita
Aparajita

महिलाओं के सशक्तिकरण की एक सम्पूर्ण वेबसाइट

बीड में कभी बालिका वधू बन जिंदगी काटनी थी मजबूरी, अब गांव की बेटियों में पुलिस में भर्ती का जुनून

Published - Thu 18, Jul 2019

बीड इलाके के गांवों में रहने वाली लड़कियां 12 पास करते ही पुलिस में भर्ती होने की तैयारियां शुरू कर देती हैं। महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दे रखा है। एेसे में थोड़ी सी मेहनत के बाद ही इन गांवों की युवतियों को आसानी से पुलिस में नौकरी मिल जाती है। इसी के साथ बाल ​िववाह कह कुप्रथा से भी वे बच जाती ह​ैं। पिता को दहेज के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।

मुंबई। बाल विवाह एक कुरीति है, सरकार ने इसे रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं। इसके बावजूद यह कुुरीति देश के कई हिस्सों में ऐसे जड़ जमा चुकी है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। कुछ ऐसी ही कहानी है महाराष्ट्र के बीड की। यहां खेती में हर साल होने वाले नुकसान से परेशान गरीब किसान परिवार न चाहते हुए भी अपनी बेटियों की शादी 18 साल की होने से पहले ही कर देते हैं। इसका फायदा यहां के साहूकार और पैसे वाले उठाते हैं। ये लोग अपने से कई साल छोटी लड़की से शादी की उसे अपने घर ले आते हैं आैर ​कुछ दिनों बाद ही उन्हें फिर से काम के लिए खेतों में उतार देते हैं। वर्षों से चली आ रही इस कुरीति को अब यहां की बेटियां समझ चुकी हैं। परिवार की मजबूरी भी ये बेटियां अच्छे से जानती हैं, इसलिए बाल विवाह से बचने के ​लिए खुद ही रास्ता ढूंढ निकाला है।
बीड इलाके के गांवों में रहने वाली लड़कियां 12 पास करते ही पुलिस में भर्ती होने की तैयारियां शुरू कर देती हैं। महाराष्ट्र सरकार ने पुलिस भर्ती में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण दे रखा है। एेसे में थोड़ी सी मेहनत के बाद ही इन गांवों की युवतियों को आसानी से पुलिस में नौकरी मिल जाती है। इसी के साथ बाल ​िववाह कह कुप्रथा से भी वे बच जाती हैं। पिता को दहेज के लिए किसी के सामने हाथ फैलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती।  
बीड की महिला कांस्टेबल मीना घोड़के की कहानी भी इससे कुछ अलग नहीं है। उन्होंने बताया कि सूखे ने कई वर्षों से उनके इलाके की कुछ ऐसी हालत कर रखी है कि गांव में हर किसी की खेती चौपट हो गई है। उनका परिवार भी इससे अछूता नहीं रहा। इसी वजह से उनकी बड़ी बहन की शादी 7वीं कक्षा की पढ़ाई के दौरान म​हज 14 साल की उम्र में ही कर दी गई। उनके साथ पढ़ने वाली 5 और लड़कियों की भी शादी और खेतों में काम करने के लिए कर दी गई। यह सब देखकर मीना ने ठान लिया कि वह अपनी जिंदगी ऐसे खराब नहीं होने देंगी।
मीना ने बताया कि पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने यह बात अच्छे से जान ली थी कि इस खराब माहौल में महिलाओं के लिए पुलिस की नौकरी से ज्यादा सुरक्षित कुछ भी नहीं है। जब उनका पुलिस में चयन हुआ तो गांववालों से उन्हें खूब शाबाशी दी। मीना पिछले 4 साल से बीड के एंटी-ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट में अपनी सेवाएं दे रही हैं।

घरवाले बना रहे थे शादी की योजना, तभी दिखा भर्ती का विज्ञापन
 मीना बताती हैं कि पढ़ाई के दिनों में जब उन्होंने एक अखबार में पुलिस भर्ती का विज्ञापन देखा, तो उनके जीवन की आगे की राह साफ-साफ दिखने लगी। उस समय परिवारवाले उनकी शादी की योजना बना रहे थे। बीड की लगभग 50 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले ही कर दी जाती है। मीना ने जब पिता से पुलिस में भर्ती होने की बात कही तो पिता ने शर्त रख दी कि ठीक है, जाओ एग्जाम दे लो, लेकिन पास नहीं हुई तो तुम्हारी शादी कर देंगे। मीना ने पुलिस भर्ती की सारी औपचारिकताएं आसानी से पूरी की और कांस्टेबल बन गईं। मीना  के मुताबिक बीड क्षेत्र में जिनकी लड़कियां की पुलिस में नौकरी लग जाती है उनके घरवालों की इज्जत बढ़ जाती है। इसीलिए गांव की लड़कियों के पुलिस में भर्ती का जुनून है।

अब भर्ती के लिए तैयार होती हैं युवतियां
भारतीय पुलिस सेवा से 2017 में सेवानिवृत होने वाली मीरा बोरवंकर याद करते हुए बताती हैं कि उन्होंने वर्ष 1996 में एक स्थानीय पुलिस अधीक्षक के तौर पर एक कॉस्टेबल भर्ती अभियान का आयोजन करवाया था। वे कहती हैं, एक भी लड़की उत्तीर्ण नहीं हुई थी। वे दुबली-पतली और कमजोर थीं। इसके बाद एक और भर्ती अभियान चला जिसमें दर्जनों  लड़कियां आईं, वे शारीरिक रूप से तैयार, फुर्तीली और प्रेरित थीं।

महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मी
आंकड़ों के मुताबिक भारत में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या महज 7 फीसदी है। इसमें ज्यादातर कॉन्स्टेबल हैं। महाराष्ट्र ने दो दशक पहले पुलिस में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण लागू हुआ। पूरे देश में महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा महिलाएं पुलिस में है। पूरे भारत में कुल 1,00,000 महिला कांस्टेबल में से लगभग 20 फीसदी इसी राज्य में हैं। पुलिस डाटा के अनुसार, 2014 से 2018 तक बीड में पुलिस विभाग में 100 पदों पर निकली बहाली के लिए 3500 से ज्यादा महिलाओं ने आवेदन किए। अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के एक पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में 630 महिला कांस्टेबल प्रशिक्षित हुईं, इनमें अधिकांश गांवों की रहने वाली हैं।