महाराष्ट्र की रेलू वासवे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं और आदिवासी गर्भवती महिलाओं और बच्चों की मदद के लिए वह रोजाना 18 किलोमीटर नाव चलाकर आदिवासी गांवों तक पहुंचती हैं। रेलू उन कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए एक नजीर हैं जो पद पर होते हुए भी काम से बचते फिरते हैं।
मुंबई। देशभर में गर्भवती महिलाओं और शिशुओं को पोषाहार देने और उनको जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आंगनबाड़ी केंद्र हैं और लाखों आंगनबाड़ी कार्यकत्री उनसे जुड़ी भी हुई हैं। लेकिन अक्सर देखने-सुनने को मिलता है कि पोषाहार को बांटने की जगह बेच दिया गया। कार्यकत्री काम सही से नहीं कर रहीं और कई बातें सुनने को मिल ही जाती हैं। लेकिन इन सबसे उलट देश में एक आगंनबाड़ी कार्यकत्री ऐसी भी हैं, जो न केवल अपने फर्ज को बखूबी निभा रही हैं, बल्कि सेवा भी बखूबी कर रही हैं।
आदिवासियों की करती हैं मदद
नासिक की रहने वाली रेलू नर्मदा के पास पली बढ़ी हैं। समाज सेवा करना उन्हें अच्छा लगता है। खासकर गर्भवती महिलाओं को लेकर वह बेहद चिंतित रहती हैं। इसी के चलते उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र ज्वाइन किया और आदिवासी क्षेत्रों की ओर रुख किया। उन्होंने इसी साल अप्रैल से आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए काम करना शुरू किया। वह उनके पास जाकर उनकी हरसंभव मदद करने की कोशिश करती हैं और उनकी समस्याओं को ऊपर तक पहुंचाने में भी पीछे नहीं हटतीं।
रोजाना 18 किलोमीटर तक चलाती हैं नाव
रेलू आदिवासी महिलाओं तक पहुंचने लिए रोजाना 18 किलोमीटर तक नाव चलाती हैं। जब शाम को वो घर पहुंचती हैं, तो उनके हाथ दर्द करने लगते हैं पर उनको इसकी चिंता नहीं हैं। वह कहती हैं कि मैं असहाय लोगों के बीच जाकर उनकी मदद करती हूं, इसके सामने मेरा दर्द कुछ भी नहीं है। वह महाराष्ट्र के नंदुरबार की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। 6 साल से कम उम्र के आदिवासी बच्चों और गर्भवती महिलाओं की मदद के लिए हर दिन 18 किलोमीटर नाव चला कर गांवों में पहुंचती है। वह नवजात शिशुओं और उनकी माताओं के समुचित विकास की जांच करती हैं। साथ ही उनको पोषाहार आदि भी पहुंचाती हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय उनके काम की प्रशंसा कर चुका है। वह हर रोज आंधी, बारिश, सर्दी,गर्मी में अपने सफर को बिना रुके तय करती हैं। उनकी कर्तव्यनिष्ठा, समर्पण व सेवाभाव को हर कोई सराह रहा है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.