आगरा के एडीजी जोन में स्टाफ ऑफिसर के पद पर तैनात मनीषा के पिता का सपना था कि बेटी पुलिस अफसर बने, परिवार व समाज के तमाम बंधनों को तोड़ते हुए मनीषा ने पिता के सपने को जिया और उसे पूरा किया।
आगरा। शहर में तैनात महिला पुलिस अधिकारियों में से एक मनीषा पीपीएस परीक्षा पास कर पुलिस महकमे में आई हैं। मनीषा का कहना है कि जब उन्होंने पुलिस में जाने की ठानी तो जमाने ने ताने दिए, परिवार ने मना किया, लेकिन पिता ने सपना देखा था कि बेटी पुलिस अफसर बने, बस पिता के सपने को पूरा करने के लिए मनीषा ने जी जान लगा दी और आज वो पुलिस अधिकारी बनी चुकी हैं और पुरुषवादी मानसिकता से टकरा रही हैं।
पिता का सपना पूरा करने के लिए बनी अधिकारी
मनीषा के पिता पिता प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते थे, लेकिन जा नहीं पाए। उनके सपने को पिता की मौत के बाद मनीषा ने जिया और अपना लक्ष्य बनाया। मनीषा ने प्रयागराज से पढ़ाई की। एमटेक किया। अपनी मेहनत के दम पर निजी कंपनी में भू वैज्ञानिक हो गई। चूंकि शादी की उम्र हो गई थी, तो परिवार और रिश्तेदार शादी का दबाव बनाने लगे, लेकन मनीषा ने ठान लिया था कि पिता का सपना पूरा करना है। निजी कंपनी में नौकरी करते हुए मनीषा ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की। आखिर पीपीएस में सलेक्शन हुआ। मंजिल मिली। मनीषा ने पीसीएस की परीक्षा 2001 में दी थी। परिणाम 2003 में आया। इस बीच शादी हो गई। बेटा भी हो गया। परिवार के लोग कहने लगे कि पुलिस की नौकरी के चक्कर में न पड़ो क्योंकि गृहस्थी भी तो संभालनी है। लेकिन मनीषा ने ठान लिया था कि पुलिस अफसर बनना है और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद जब ड्यूटी पर पहली बार आई तो डर रही थी। अधिकारियों के सामने जाने से पहले सभी संभावित सवालों के जवाब सोचकर जाती थी। वारदात हो जाने पर देर रात तक काम करना पड़ता था। यह बेहद चुनौती भरा था, क्योंकि बच्चे की देखभाल भी जरूरी थी। सबसे बड़ी चुनौती पारिवारिक दायित्वों और ड्यूटी के बीच तालमेल बिठाने की आई। लगातार काम करने का नतीजा है कि सफलता मिल गई। आज मनीषा आगरा में स्टाफ ऑफिसर एडीजी जोन के पद पर कार्यरत हैं और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल रही हैं। मनीषा का कहना है कि अगर आप कुछ करने की ठान लें, तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.