काम तो सभी करते हैं, लेकिन इसे अलग ढंग से करने वाले ही अपनी पहचान बनाने में सफल होते हैं। कुछ ऐसा ही किया है भारतीय क्लासिकल डांस फॉर्म कथक की मशहूर नृत्यांगना मंजरी चतुर्वेदी ने। उन्होंने नृत्य की इस विधा को एक ऐसा आयाम दिया है, जो दूसरों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है।
नई दिल्ली। परंपराओं को तोड़कर डांस की एक नई विधा अपनाने के कारण मंजरी चतुर्वेदी का काफी विरोध भी होता है। कई लोग उनकी तीखी आलोचना भी करते हैं। उनका यह प्रयोग बहुत से लोगों को पसंद नहीं आ रहा है। इसी का नतीजा है कि पिछले दिनों उनकी डांस परफॉर्मेंस को रोक दिया गया। जिसके बाद वह एक बार फिर अचानक से सुर्खियों में आ गईं। हालांकि इस विवाद को वह ज्यादा तरजीह नहीं देती हैं। क्लासिकल डांस के लिए अपना जीवन समर्पित कर देने वाली उनके जैसी बड़ी कलाकार ने इससे प्रभावित हुए बिना कहा, 'मैं अपने डांस परफॉर्मेंस के जरिए गंगा-जमुनी तहजीब के बारे में बात करती रहूंगी।' भारत में सूफी कथक की अवधारणा विकसित करने वाली मंजरी चतुर्वेदी एकमात्र कलाकार हैं। उन्होंने सूफी रवायतों को भारतीय क्लासिकल डांस के साथ मिलाकर सूफी कथक जैसी नई विधा का सृजन किया।
200 से ज्यादा कॉन्सर्ट कर चुकी हैं मंजरी
वर्षों पुरानी एक विधा को नया आयाम दे चुकीं मंजरी चतुर्वेदी के नृत्य में करीब 700 साल पुराने इतिहास की झलक दिखती है। मंजरी ने पूरी दुनिया में 200 से ज्यादा कॉन्सर्ट किए हैं। इनमें यूरोप के कई देश भी शामिल हैं। मंजरी ने फ्रांस, जर्मनी, पुर्तगाल, इटली, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड, यूके और आयरलैंड जैसे देशों में नृत्य की प्रस्तुतियां देकर खूब वाहवाही लूटी है। मीडिल ईस्ट में उन्होंने दुबई, बहरीन, अबू धाबी, कतर, कुवैत और दक्षिण पूर्व एशिया में सिंगापुर, मलयेशिया और श्रीलंका जैसे देशों में भी प्रस्तुतियां दी हैं। सेंट्रल एशिया में तुर्कमेनिस्तान, किर्गिस्तान उज़्बेकिस्तान और तजाकिस्तान जैसे देशों में उन्होंने सूफी कथक की काफी न भूलने वाली परफॉर्मेंसेस देकर खूब तालियां बटोरी हैं।
लोगों में भर देती हैं ऊर्जा और उल्लास
मंजरी के सूफी कथक में निर्गुण भक्ति के भावों को इस तरह से पिरोया है कि इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। माना जाता है कि संगीत में वह रुहानी ताकत है, जो इंसान के सभी तनावों को दूर कर उसे ऊर्जा और उल्लास से भर देता है। खासतौर पर सूफी संगीत को अलौकिक माना जाता है। मंजरी चतुर्वेदी बताती हैं, 'हमारे यहां सगुण भक्ति ज्यादा देखने को मिलती है। निर्गुण भक्ति अभी तक संगीत में थी, लेकिन नृत्य में नहीं थी। मेरा नृत्य निर्गुण भक्ति की बात करता है। वह उस परमात्मा की बात करता है, जो निराकार है, जो परमब्रह्म है। ब्रह्म में लीन होने की जो प्रवृत्ति है, वह मेरे नृत्य में निर्गुण में लीन होने के लिए है।' मंजरी चतुर्वेदी काले कपड़ों में बिना किसी मेकअप के बाल खोलकर डांस करती हैं। दर्शकों के लिए यह बिल्कुल अलग अनुभव है। इस पर मंजरी कहती हैं, 'अगर आपको उस आत्मा का नृत्य देखना है, तो वह इस शरीर से परे है।' कुछ दर्शक उनकी प्रस्तुति देखकर रो भी पड़ते हैं।
नृत्य से दर्शकों का मोह लेती हैं मन
मंजरी चतुर्वेदी जब भी स्टेज पर जाती हैं, तो अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लेती हैं। वह उन्हें उस अलौलिक दुनिया में लेकर जाती हैं, जहां आत्मा परमात्मा में लीन हो जाती है। कथक के लखनऊ घराने का प्रतिनिधित्व करने वाली मंजरी एनवायरमेंटल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएट हैं। अपने पिता से मिले सहयोग के बारे में उन्होंने बताया, 'मेरे पिता आईआईटी रुढ़की के प्रोफेसर थे, रूरल डेवलपमेंट के लिए उन्होंने काफी काम किया था। उनसे प्रेरित होकर मैंने एमएससी किया। तब यानी 20 साल पहले नृत्य संगीत ऑर्गनाइज्ड नहीं था। फाइनेंशियल स्टेबिलिटी के लिहाज से उन्होंने मुझे एमएससी की पढ़ाई करने के लिए कहा, लेकिन कभी अपनी पसंद की चीजें करने से रोका नहीं।
परंपरा को तोड़कर किए नए प्रयोग
अवध की संस्कृति परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने ट्रेडिशन और आधुनिकता का खूबसूरती से संगम किया। उनके इसी प्रयोग से बहुत से प्योरिस्ट (शुद्धतावादी) उनके खिलाफ हो गए। इसके बावजूद मंजरी रुकी नहीं। उनका कहना था, 'नई चीज के लिए सोचने और समझने में वक्त लगता है। शुद्धतावादियों का नजरिया अपनी जगह सही है, क्योंकि अगर वे अपना दायरा नहीं बना कर रखेंगे तो उनका वजूद बिखर जाएगा। लेकिन हमारा भी फर्ज है कि उस दायरे से बाहर निकलें और कुछ नया करें।
नृत्य के लिए 13 साल तक किया अध्ययन
मंजरी को कथक की शिक्षा पंडित अर्जुन मिश्र से मिली थी। मंजरी ने सूफी कथक की अवधारणा विकसित करने से पहले इस पर गहन रिसर्च की। उन्होंने 13 साल तक इस विषय पर काम किया। इसके लिए वह मिस्र, किर्गिस्तान उज़्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और तजाकिस्तान जैसे देशों की यात्रा पर गईं। सूफी प्रभाव वाले देशों जैसे कि ईरान, तुर्की, मोरक्को के कलाकारों से संगीत और डांस फॉर्म्स की शिक्षा ली। उन्होंने 1995 -2000 के बीच लाइब्रेरी से रिसर्च की। आज के दौर में बहुत सी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। लेकिन मुझे जानकारी इकट्ठा करने में बहुत वक्त लगा। मैं वीडियोज को लेकर सेंट्रल एशिया, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान गई। वहां जाकर मैंने वहां के डांस फॉर्म्स का अध्ययन किया।'
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.