दिल्ली की मानसी के साथ घटी एक घटना के बाद मानसी ने महिलाओं के लिए पिंक लीगल नाम से एक पोर्टल शुरू किया, जिससे महिलाओं को न्याय मिलने में आसानी हो और वो कानून के हर पेंच को समझ सकें।
दिल्ली। दिल्ली से लॉ करने वाली मानसी ने देश में पहला ऐसा प्रयोग किया है, जो काबिले तारीफ है। वो महिलाओं के लिए पिंक पोर्टल नाम से एक पोर्टल चला रही हैं, जिससे महिलाओं को कानून संबंधी जानकारी हो और वो किसी भी स्थिति में अपने हक की लड़ाई लड़ सकें। 2016 में मानसी ने दिल्ली के जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल से पढ़ाई की। उन्होंने 2018 में जस्टिस चंद्रचूड़ को सबरीमाला केस, सेक्शन 377 और अडल्ट्री को डिक्रिमिनालाइज करने में असिस्ट भी किया। एक दिन मानसी के साथ घटी घटना ने उन्हें पोर्टल बनाने की प्रेरणा दी।
जब दुर्घटना का शिकार हुईं मानसी
2017 में मानसी चौधरी की कार से एक कार भिड़ गई और दूसरे कार वालों उनके साथ बदतमीजी की। कार से उतरे दो लड़कों ने गालियां देना, धमकियां देना शुरू कर दिया। उनकी कार के बोनट और खिड़की पर हाथ मारा और गाड़ी का दरवाजा खोलने की कोशिश की। जैसे-जैसे वो वहां से निकल गईं। मानसी ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी। तब उन्हें ये अहसास हुआ कि वो वकील हैं ,तो उन्हें अपने अधिकार पता है, लेकिन देश में ऐसी कई महिलाएं हैं ,जिन्हें अपने अधिकार, कानून और न्याय के बारे में कुछ भी नहीं पता, क्यों न उनके लिए कुछ ऐसा किया जाए कि उन्हें न्याय व्यवस्था और खुद के लिए बने कानूनों की जानकारी हो। मानसी ने पिंक लीगल नाम से एक बेव पोर्टल बनाया। यह एक ऐसा पोर्टल है, जहां महिलाओं को अपने न्यायिक अधिकारों के बारे में जानकारी मिल सकती है। यहां महिला, कानून से लेकर अन्य कई जानकारी भी दी गई हैं। मानसी का कहना है कि इस पोर्टल पर एक क्लिक से महिलाओं को कानूनी लड़ाई शुरू करने में मदद मिल सकती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.