मानसी और उनके साथ के सैकड़ों लोग एक तरीके से ईंट भट्ठों के बंधुआ मजदूर थे, जिन्हें काम पूरा करने के बाद भी भट्ठा मालिक घर नहीं जाने दे रहे थे। मानसी ने सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए सबकी आजादी सुनिश्चित कराई।
मूल रूप से ओडिशा के बोलनगिर जिले की रहने मानसी बरिहा ने तमिलनाडु में विभिन्न ईंट भट्टों में फंसे 6,000 से अधिक मजदूरों को बचाने में मदद की है। मानसी के पिता ईंट भट्ठा मजदूर हैं, जो तमिलनाडु के तिरुवेल्लूर जिले में काम करते थे। मानसी और और उसकी छोटी बहन भी उनके साथ ही रहती थी। ईंट बनाने वाले मजदूर आर्थिक रूप से भट्ठे मालिकों की सहायता पर निर्भर रहते हैं। कई बार जरूरत पड़ने पर वे मालिकों से एडवांस रुपये लेकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। मेरे पिता ने मेरी दिवंगत मां के इलाज के लिए एक एजेंट से तकरीबन तीस हजार रुपये की एडवांस राशि ली थी, लेकिन वह कर्ज चुकाने में असमर्थ थे। इसलिए एजेंट मानसी को उस भट्ठे तक ले गया था। जहां उनके पिता काम कर रहे थे, वहां करीब चार सौ मजदूर ईट भट्टों के मालिकों से एडवांस पैसे लेकर काम कर रहे थे। बीते मार्च में जब कोविड-19 के चलते लॉकडाउन हुआ, तो मजदूरों ने करीब छह माह का काम कर दिया। मालिकों ने कहा कि तय समय में अगर नियत संख्या में ईंटें तैयार हो जाती हैं, तो सबको घर जाने की छुट्टी मिलेगी। इसके बाद मजदूरों ने मेहनत कर ज्यादा वक्त देते हुए तय समय में ईटों की संख्या पूरी कर दी। लेकिन काम पूरा होने के बाद भी मालिक अपने शब्दों पर पीछे हट गया और श्रमिकों को छुट्टी देने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, उसने मजदूरों को तालाबंदी के दौरान काम जारी रखने के लिए मजबूर करना जारी रखा।
प्रदर्शन किया
इसके बाद मजदूरों ने मई में एक विरोध प्रदर्शन किया। जब मालिक ने कुछ श्रमिकों को घर लौटने के लिए अपना सामान पैक करते देखा, तो वहां तो उसने चुप्पी साध ली, लेकिन बाद में वह करीब पचास लोगों को बुला लाया, जिन्होंने बातचीत के दौरान ही सभी को लाठियों से पीटना शुरू कर दिया। इसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
वायरल हुए वीडियो
सब के सब बीमारी को लेकर डरे हुए थे और वहां से निकलने के रास्ते तलाश रहे थे। तब मानसी ने अपने गांव के कुछ लोगों को फोन किया, जो मीडिया से जुड़े हुए थे। उन्होंने मानसी से घटना की तस्वीरें और वीडियो भेजने के लिए कहा। मानसी ने मारपीट की अन्य घटनाओं को चुपचाप कैमरों में रिकॉर्ड कर लिया और अपने संपर्कों को भेजती रही। जल्द ही यह सब सोशल मीडिया में वायरल हो गया।
पुलिस ने बचाया
इसके बाद पुलिस उन लोगों को बचाने पहुंची। अधिकारियों की जांच में पता चला कि इस तरह के तीस अन्य ईंट भट्ठे भी थे, जहां हजारों मजदूरों को काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। उन लोगों ने सबको रेस्क्यू किया और पुलिस के मार्गदर्शन में उनके संबंधित राज्यों में भेज दिया गया। साथ मानसी अपने पिता के साथ वापस अपने गांव आ गई।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.