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झारखंड की इस बेटी के हौसले को सलाम

Published - Thu 24, Jun 2021

अगर हौसले बुलंद हो तो आप हर बाधा को पार कर लेते हैं। कुछ ऐसा ही कमाल कर रही हैं झारखंड की मंती कुमारी। वह प्रतिदिन अपनी डेढ़ साल की बेटी को पीठ पर बिठाकर दूरदराज के गांव में बच्चों का टीकाकरण करने जाती हैं।

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नई दिल्ली। झारखंड की मंती कुमारी अपनी डेढ़ साल की बेटी को पीठ पर बिठाकर प्रतिदिन छोटे बच्चों का टीकाकरण करने के लिए निकल पड़ती हैं। इस दौरान वह उन्हें हर दिन लगभग 35 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। रास्ते में वह नदियों और कठिन इलाकों को पार करती हैं। मंती कुमारी संविदा पर नर्स हैं, लोग उनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं।  

कई नदियों को पार करना पड़ता है

उन्हें अपने कंधे पर डेढ़ साल की बेटी और उपकरण का डिब्बा भी साथ लेकर चलना पड़ता है, जो कि आसान बात नहीं है। प्रतिदिन उन्हें कठिन इलाकों को पार करना पड़ता है। उन्हें आठ गांवों को कवर करना है। मंती का कहना है कि वह एक साल से अधिक समय से इस दिनचर्या का पालन कर रही हैं। उनकी मानें तो कुछ गांव जिन्हें मैं कवर करना चाहती हूं, वे बहुत दूर स्थित हैं। नदियों के रास्ते में, इसे पार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। हालांकि ये नदियां बहुत गहरी नहीं हैं, फिर भी बरसात के मौसम में धारा के साथ बह जाने की संभावना हमेशा बनी रहती है। कभी-कभी जब पानी का स्तर बढ़ जाता है तो मुझे उस गांव को तब तक छोड़ना पड़ता है, जब तक कि पानी कम न हो जाए।
 

कमाने वाली अकेली सदस्य

उनके पति सुनील उरांव ने तालाबंदी के दौरान अपनी नौकरी खो दी, जिससे मंती परिवार में एकमात्र कमाने वाली बन गईं। सप्ताह में छह दिन गांवों में जाने के अलावा बच्चे की देखभाल और परिवार का भरण-पोषण करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। मंती कहती हैं, कि वह हर महीने कम से कम एक बार तिसिया, गोइरा और सुगमबंध गांवों का दौरा करती हैं, और उन्हें तीन अलग-अलग स्थानों पर नदी पार करनी होती है। लॉकडाउन में सार्वजनिक परिवहन बंद होने के कारण कई बार उनके पति उनकी मदद करते हैं।