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कई सोसाइटी को कचरा मुक्त बनाने वाली मारिया पर लोगों ने कचरा तक फेंका...

Published - Mon 22, Feb 2021

मारिया ने कचरा प्रबंधन के लिए कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया के बारे में विभिन्न सोसाइटी में जाकर जागरूकता फैलाई। अब सोसाइटी के लोग इसका उपयोग कर रहे हैं, और उन्हें कचरे से निजात मिली है। शुरू में जब उन्होंने खुले में कूड़ा फेकनें से रोका तो लोगों ने उनके ऊपर ही कूड़ा फेंककर विरोध जताया।

Maria D’Souza

मुंबई की रहने वाली मारिया डिसूजा सेवानिवृत्त शिक्षिका हैं। 68 साल की मारिया ने मुंबई की 44 सोसाइटी को कचरा मुक्त करा दिया है। साफ-सफाई के प्रति वह युवावस्था से ही जागरूक थीं। अपने आस-पास सफाई रखने के लिए हमेशा ही सबको प्रेरित करती रहती थीं। मारिया की कचरा को सुरक्षित करने की यात्रा 1990 के दशक से शुरू होती है। 
मारिया बांद्रा में एक स्कूल में पढ़ाने जाती थीं। उस स्कूल के निकास द्वार पर ही दो कचरे के डब्बे लगे थे। अक्सर वे डब्बे भरे ही रहते थे। लोग भी गंदगी होने की वजह से दूर से ही कचरा फेंक कर चले जाते थे। जो कभी डब्बे में तो जाता नहीं था, वहीं आसपास ही फैल जाता था। बाहर कचरे के आसपास जानवर, मक्खियां और कीड़े मंडराते रहते थे। यह स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए बीमारी का सबब बनते थे। कूड़ा हटाने के लिए स्थानीय निगम के पास वह कई बार गई लेकिन किसी ने भी कोई सुनवाई नहीं की। उन्होंने बच्चों से भी खत भी लिखवा लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। कूड़ा इतना बढ़ गया कि बच्चों के पैर धसने लगे। जिस पर बच्चे चलकर गिर जाते थे। बहुत प्रयास के बाद भी कोई समाधान नहीं निकल पाया। फिर एक दिन निगम निगम के ही किसी स्टाफ ने स्कूल में अपने किसी रिश्तेदार के बच्चे के दाखिले के लिए संपर्क किया। तब मारिया ने उनसे कचरे के बारे में शिकायत करी। अगले ही दिन वहां से कूड़े के साथ-साथ कूड़ेदान को भी वहां से हटा दिया गया। 
स्कूल के बाहर से कूड़े की समस्या तो हट गई लेकिन मारिया स्थानीय लोगों के निशाने पर आ गईं। गुस्साएं लोगों ने उनके ऊपर कूड़ा तक फेंका। इतना सब होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने फैसला किया कि इस कचरे का स्थाई समाधान अवश्य निकालेगी। उन्होंने हाउसिंग सोसाइटी के लोगों को जागरूक करने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने लोगों को गीले और सूखे कचरे को अलग करने और उसे खाद में बदलने की प्रक्रिया के बारे में अवगत काराया। वह जिस बांद्रा के वैकुंठ अपार्टमेंट की सोसाइटी में रहती थी और इसी सोसाइटी ने सबसे पहले गीला और सूखा कचरे को अलग-अलग रखने का काम शुरू किया। हालांकि यह आसान नहीं था, लोग कचरे को अलग करने व खाद बनाने को लेकर कई बहाने बनाते थे। धीरे-धीरे लोगों ने इसे अपनाया और आखिरकार दो स्कूल व चर्च ‘कचरा मुक्त क्षेत्र’ हो गए।
मारिया की कोशिशें रंग लाईं और मुंबई की बीस से आधिक सोसाइटी कचरे से खाद बनाने में सफल हो गईं। इसके बाद मारिया ने स्थानीय कंपनियों की सूची तैयार की, जो खाद बनाने के कम्पोस्टिंग यूनिट उपलब्ध करवाती हैं, और यह सूची पूरी सोसाइटी में वितरित कर दी। अब अधिकतर हाउसिंग सोसाइटी में ऐसी कई यूनिटें स्थापित हैं, जो एक महीने में कचरे को खाद में बदल देती हैं।