कौशल प्रशिक्षण के कई कार्यक्रमों को गांवों, आदिवासी इलाकों के युवाओं के बीच करने के बाद मीरा को कुछ नया करने का विचार सूझा, इसलिए उन्होंने दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण और रोजगार दिलाने में सहयोग देना शुरू किया। इसके लिए उन्होंने यूथ फॉर जॉब्स संगठन की शुरूआत की। जिसके जरिए पहले दिव्यांगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाता है, फिर रोजगार दिलाने की पहल की जाती है।
नई दिल्ली। मीरा शेनॉय हैदराबाद की रहने वाली हैं। पढ़ाई-लिखाई के बाद वह कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में काम करने लगीं। मीरा की मानें तो लोगों के बीच जाकर और उनसे बात कर मैंने ग्रामीण क्षेत्र और वहां की परेशानियों को बेहद करीब से समझा। साथ ही, मैंने कई सरकारी परियोजनाओं के लिए आदिवासी और दिव्यांग युवाओं के साथ काम किया। ग्रामीण और आदिवासी युवाओं को प्रशिक्षण के बाद रोजगार दिलाने का काम मैंने सफलता पूर्वक पूरा किया। फिर मुझे लगा कि मैंने इस क्षेत्र में पर्याप्त अनुभव हासिल कर लिया, तो क्यों नहीं कुछ नया किया जाए। मैंने पाया कि दिव्यांगों को रोजगार के अवसर बहुत कम मिलते हैं, जबकि सरकारी कार्यक्रमों की जरूरत सबसे ज्यादा उन्हें ही होती है। तब मुझे लगा कि अपने अनुभव का लाभ दिव्यांग युवाओं को देना चाहिए और उन्हें रोजगार के मौके उपलब्ध कराने चाहिए। इसके बाद मैंने यूथ फॉर जॉब्स की शुरुआत की, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रशिक्षण के बाद दिव्यांगों को उनके अनुकूल रोजगार दिलाने में सहयोग करना है।
अवसरों की कमी रहती है
मैंने महसूस किया है कि दिव्यांगों को सिर्फ रोजगार में ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में भी सामाजिक भेदभाव, संवेदनहीनता, दुर्व्यवहार और अवसरों की कमी का सामना करना पड़ता है। इसके चलते वे गरीबी के दुश्चक्र में फंस जाते हैं।
हार नहीं मानी
जब मैंने संगठन के तहत प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया, तो सबको लगा कि यह जान-बूझकर विफलता की ओर बढ़ाया गया कदम है, पर मैंने हार नहीं मानी। आज हमारे संगठन से प्रशिक्षित युवाओं को ई-कॉमर्स और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में भी रोजगार मिल रहा है।
आत्मनिर्भरता की ओर
वर्तमान में दर्जन भर राज्यों के तकरीबन 27 आवासीय केंद्रों पर हम प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रहे हैं, जिनमें सालाना तीन से चार हजार दिव्यांगों व गरीब छात्रों को व्यावसायिक कौशल सिखाया जा रहा है। मेरी कोशिश दिव्यांगों को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करने की है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.