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बचपन में था गुब्बारों पर निशाना लगाने का शौक आज उसी निशाने से जीत रही हैं देश के लिए मेडल

Published - Wed 03, Feb 2021

पश्चिम बंगाल की मेहुली ने बचपन में शौकिया गुब्बारे फोड़ना शुरू किया और इस शौक को पूरा करते-करते वो आज इंटरनेशल शूटर हैं।

नई दिल्ली। शौक जब जुनून में बदल जाए और जिंदगी की मंजिल बन जाए इसे मेहुली घोष से बेहतर कोई नहीं जाना सकता। इंटरनेशनल शूटर मेहुली आज दुनिया में देश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। शूटर मेहुली कई मेडल भी जीत चुकी हैं। उनका अचूक निशाना उनके शौक के चलते लगा है। पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में पली-बढ़ी नादिया को बचपन से हमेशा बंदूक और गोलियां पसंद थीं। वह मेले में जब भी जातीं, गुब्बारे फोड़ने की दुकान देखकर खिल उठतीं और पिता से जिद कर निशाना लगाने खड़ी हो जातीं। परिवार के पास संसाधन सीमित थे, घर की हालत भी ठीक नहीं थी। पिता दिहाड़ी मजदूर थे। ऐसे में अपने शौक को अपना करियर बनाना मेहुली के लिए संभव नहीं था। पेशेवर प्रशिक्षण के लिए उन्होंने परिवार की काफी मिन्नतें कीं। शुरुआती न नुकर के बाद आखिर परिवार तैयार हो गया। इसके बाद मेहुली ने वो कर दिखाया, जो वो चाहती थीं।

चुनौतियों से हुआ सामना
2014 में उन्होंने एक व्यक्ति को पेलेट मार दिया। व्यक्ति घायल हो गया और मेहुली पर अस्थाई प्रतिबंध लगा दिया गया। इससे आहत मेहुली डिप्रेशन में चली गईं। परिवार बेटी की हालत देखकर परेशान हो गया और अर्जुन अवॉर्डी निशानेबाज जॉयदीप करमाकर के पास लेकर गया। वहां से फिर उनकी जिंदगी बदली। करमाकर ने अपनी अकादमी में उन्हें प्रशिक्षण दिया और उनमें फिर उम्मीद जगाई। आखिर मेहुली मैदान में उतर गईं और निशानेबाजी शुरू की।

जब एक साथ जीते नौ मेडल
जब मेहुली 16 साल की थीं, तो उनका चयन भारत की जूनियर टीम में हो गया। वह पुणे की नेशनल शूटिंग चैंपियनशिप में खेलने गईं। वहां उनके प्रदर्शन को देखकर हर कोई हैरान रह गया। इस प्रतियोगिता में उन्होंने अकेले नौ मेडल जीतकर सबको चौंका दिया। अगले ही साल जापान में हुई एशियन एयरगन चैंपियनशिप में उन्होंने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीता।

जब रंग लाई मेहनत
मेहुली अकेडमी में ट्रेनिंग लेने जाने के लिए रोजाना चार घंटे की लंबी यात्रा करतीं। ट्रेनिंग से लौटते हुए उन्हें रात हो जाती। उनकी मेहनत और जुनून ने रंग दिखाया और 2017 में उन्होंने जापान में हुई एशियन एयर गन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। अगले साल उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में सिल्वर और गोल्ड मेडल जीते। 2018 में यूथ ओलंपिक में सिल्वर, कॉमनवेल्थ खेलों में सिल्वर मेडल, वर्ल्ड कप में उन्होंने रजत पदक भी जीता। दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। मेहुली ओलंपिक में गोल्ड मेडल पर निशाना लगाना चाहती हैं। वह कहती हैं कि अभी मंजिल दूर है, उसे पाकर ही दम लेंगी।