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केरल की 'मर्दानी' मेरिन जोसफ के नाम से कांपते हैं क्रिमनल, बच्ची के रेपिस्ट को सऊदी से घसीट लाईं

Published - Wed 26, Feb 2020

अपने काम को पूरी निष्ठा से करने के कारण इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक की सुर्खियां बनीं हैं केरल की युवा आईपीएस अफसर मेरिन जोसफ। मेरिन का नाम सुनते ही बड़े से बड़ा अपराधी कांपने लगता है। मेरिन जोसफ की नजर में अपराध करने वाले की जगह सिर्फ सलाखों के पीछे है। उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह किस वर्ग से है या उसका रसूख कितना है।

नई दिल्ली। किसी भी काम को यदि पूरी निष्ठा से किया जाए तो कामयाबी और शोहरत दोनों खुद-ब-खुद मिल जाती है। अपने काम को पूरी निष्ठा से करने के कारण इन दिनों सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक की सुर्खियां बनीं हैं केरल की युवा आईपीएस अफसर मेरिन जोसफ। मेरिन का नाम सुनते ही बड़े से बड़ा अपराधी कांपने लगता है। मेरिन जोसफ की नजर में अपराध करने वाले की जगह सिर्फ सलाखों के पीछे है। उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि वह किस वर्ग से है या उसका रसूख कितना है। वह उसे उसके अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लेती हैं। मेरिन जोसफ अपने काम को लेकर कितनी संवेदनशील हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बच्ची के रेपिस्ट के पकड़ने के लिए सऊदी अरब तक पहुंच गईं और उसे पकड़कर भारत ले आईं। भारत में दुष्कर्म और महिलाओं के खिलाफ अन्य अपराधों की संख्या काफी बढ़ गई है। आलम ये है कि यहां इस तरह के अपराध का आंकड़ा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। ऐसे हालात में मेरिन जोसफ जैसी महिलाओं की भूमिका और भी ज्यादा अहम हो जाती हैं। मेरिन जोसफ ने अपराध पर काबू पाने के लिए एक से बढ़कर एक कदम उठाए हैं।

मीडिया में कब आईं चर्चा में

तीन साल पहले एक मीडिया संस्थान ने एक स्टोरी की थी, जिसमें देश की खूबसूरत आईपीएस का जिक्र था। केरल की आईपीएस मेरिन जोसफ ने इसपर आपत्ति जताई थी कि महिलाओं को क्यों खूबसूरती के पैमाने पर आंका जा रहा है, उनके काम के नाम पर नहीं। उस समय मेरिन जोसफ सोशल मीडिया पर काफी ट्रेंड हुई थीं। धीरे-धीरे मेरिन की खूबियों के बारे में लोगों को पता चला और केरल की इस बहादुर आईपीएस के कई फैन बनते चले गए। अपनी ट्रेनिंग से लेकर अपने द्वारा हल किए गए केस तक मेरिन के कई कारनामे हैं।

महज 25 साल की उम्र में बन गईं आईपीएस

मेरिन जोसफ 25 साल की उम्र में ही आईपीएस बन गईं थीं। 20 अप्रैल 1990 को जन्मी मेरिन ने 6वीं क्लास में सोच लिया था कि उन्हें सिविल सर्विस ज्वाइन करनी है। इसके कुछ समय बाद उन्होंने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी। शुरुआत से तैयारी करने के कारण ही मेरिन पहली ही बार में आईपीएस की परीक्षा क्लियर कर गईं। मेरिन ने अपना जीवनसाथी चुना केरल निवासी साइकिएट्रिस्ट डॉ. क्रिस अब्राहम को। बचपन से ही मेरिन की दिलचस्पी पढ़ाई में रही। मेरिन की ट्रेनिंग हैदराबाद की सरदार बल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस अकादमी में हुई है। वहीं हथियारों की ट्रेनिंग भी ली है। उनकी ट्रेनिंग में उन्हें नंगे पैर चलना, सुबह जल्दी उठना, दूरदराज के इलाकों में अकेले रहना ये सबकुछ सिखाया गया है।

कोल्लम जिले में चार्ज लेने के बाद पता चला बच्ची से दुष्कर्म का मामला

मेरिन ने जून 2019 में कोल्लम जिले में कार्यभार संभाला। चार्ज संभालने के बाद उन्होंने महिला और बच्चों के जुड़े जितने भी पेंडिंग केस थे, उन्हें देखा। इसी दौरान मेरिन को सुनील के केस के बारे में पता चला। इसको लेकर पहले ही केरल पुलिस सऊदी पुलिस से बात कर चुकी थी और अंतरराष्ट्रीय जांच चल रही थी, लेकिन मेरिन के आने पर उन्होंने इस केस पर बहुत जोर डाला। केरल पुलिस की ओर से इंटरपोल को 2017 में ही नोटिस दे दिया गया था, लेकिन जांच बहुत धीरे चल रही थी। 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सऊदी के राजा अब्दुल्लाह ने एक डील की थी जिसमें सऊदी में मौजूद उन भारतीयों को वापस भारत लाने की बात तय हुई थी जिनके खिलाफ केस चल रहे थे। लेकिन 9 साल में एक भी अपराधी को वापस भारत लाकर सजा नहीं दी गई। इन हालातों के बावजूद मेरिन ने ये जिम्मा उठाया और सुनील कुमार पहला ऐसा अपराधी है जिसे सऊदी से वापस भारत लाया गया है। मेरिन की जगह कोई और अफसर होता तो शायद किसी जूनियर को भेजता इस काम के लिए, लेकिन मेरिन ने ये खुद किया। उनके मुताबिक उन्हें नहीं पता था कि कैसे किसी अपराधी को दूसरे देश से अपने देश में लाया जाता है, कैसे दूसरे देशों में कागजात का इंतजाम किया जाता है और क्या नियम होते हैं, लेकिन मैंने इसके बारे में पता किया और अपनी टीम को भी बताया।  

यह था पूरा मामला

सुनील कुमार 13 साल की एक बच्ची के यौन शोषण के केस में दो साल से फरार था। वो सऊदी में टाइल वर्कर के तौर पर काम करता था। 2017 में जब वो छुट्टी मनाने केरल आया था तो उसने अपने दोस्त की भतीजी के साथ तीन महीने तक यौन शोषण किया। 13 साल की बच्ची बहुत परेशान हो गई और उसने अपने परिवार वालों को ये बता दिया। जब तक पुलिस को ये पता चला तब तक सुनील सऊदी भाग चुका था। लड़की को घर में भी नहीं रहने को मिला और उसे सरकारी महिला मंदिर रेस्क्यू होम में भेज दिया गया। कोल्लम जिले के इस रेस्क्यू होम में 2017 में उस लड़की ने अपनी जान दे दी। तभी से सुनील को इस केस में सज़ा दिलाने के लिए पुलिस भागा-दौड़ी कर रही है। वो इंसान जिसने सुनील को दोस्त माना और उसे अपनी भतीजी के परिवार से मिलवाया, उसने भी आत्महत्या कर ली। सुनील के वहशीपन के कारण एक परिवार तबाह हो गया। कोल्लम जिले में कार्यभार संभालने के बाद मेरिन जोसफ ने सुनील को किसी भी हालत में भारत लाने का फैसला किया। वह अपनी टीम के साथ खुद सऊदी के रियाद पहुंचीं। वहां पहुंचने तक उन्हें ये नहीं पता था कि उन्हें ये कैसे करना है पर उन्हें ये जरूर पता था कि अपराधी सुनील कुमार भड्रान को लेकर वापस भारत आना है। मेरिन ने साऊदी के अफसरों और भारतीय दूतावास से संपर्क साधा। मामले की गंभीरता के बारे में बताया। जिसके बाद वहां की पुलिस ने सुनील को गिरफ्तार करने और डिपोर्ट करने में मदद की।