मिनी कोरमन दुर्गम रास्तों से होकर बच्चों को पढ़ाने जाती हैं। घने जंगलों और जंगली जानवरों को देखकर भी वह कभी नहीं डरीं। बल्कि अपने हौसले से उन्होंने गांव और स्कूल में बिजली भी पहुंचाई।
नई दिल्ली। मिनी कोरमन केरल में मलप्पुरम की रहने वाली हैं। जहां वह रहती हैं, वह जंगल वाला इलाका है। मिनी की मानें तो मेरी स्कूली शिक्षा गांव से सात किलोमीटर दूर एक गांव में हुई, जहां मैं पैदल जाती थी। आगे की पढ़ाई मैंने जहां से की, वह जगह भी 18 किलोमीटर दूर थी। परिवहन सुविधाएं नहीं होने के कारण मुझे पैदल चलना पड़ता था। जब केरल में एकल स्कूलों के लिए सरकार ने प्रशिक्षण के बाद भर्ती की, तो मुझे एक आदिवासी बस्ती के स्कूल में पढ़ाने के लिए नियुक्ति मिली। प्रतिदिन मुझे वहां तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों में जाना थकाऊ और खतरनाक था, पर मैं पीछे नहीं हटी। छात्र वहां पढ़ने आने से हिचक रहे थे। बच्चों और उनके परिजनों को समझाने में मुझे छह माह लग गए। बच्चों को पढ़ाई की समस्याएं थीं, जबकि उनके माता-पिता और परिवार वालों को नौकरी, प्रमाणपत्र जैसी अन्य समस्याएं थी। मैंने उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी देनी भी शुरू की, जिससे उनका विश्वास मेरे ऊपर बन गया।
फिसलन भरे रास्तों से होकर पैदल गुजरना पड़ता है
अपने घर से आदिवासी बस्ती के स्कूल तक पहुंचने के लिए मुझे फिसलन भरे रास्तों से होकर पैदल गुजरना पड़ता है। बीच में एक नदी भी पड़ती है। हालांकि वहां पर एक बांस का पुल है, जिसका मैं उपयोग करती हूं, लेकिन अक्सर वह एक डरावना एहसास होता है।
एक बार रास्ते में बाघ के बच्चे मिले, पहले लगा बिल्ली के बच्चे हैं
स्कूल तक जाने का रास्ता जंगलों से होकर गुजरता है। मैंने जंगल में कई बार हिंसक जानवरों का भी सामना किया। एक बार जंगल में मैंने बाघ के शावकों को देखा। शुरू में मुझे लगा कि वे बिल्ली के बच्चे हैं, लेकिन कुछ ही देर में मुझे बाघिन की आवाज सुनाई दी। ऐसे में डरना स्वाभाविक था। इसके बाद मैंने बेशक अपना रास्ता बदल लिया, लेकिन मैं स्कूल गई और बच्चों को पढ़ाया भी।
स्कूल व गांव में पहुंचाई बिजली
जब मैंने बतौर शिक्षिका इस स्कूल में पढ़ाना शुरू किया, तो इलाके में बिजली नहीं थी और लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। मैंने गांव में बिजली पहुंचाने को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया और कई प्रयासों के बाद अब गांव के साथ-साथ हमारे स्कूल में भी बिजली की सुविधा उपलब्ध है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.