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मिनी बच्चों को पढ़ाने के लिए रोज 16 किलोमीटर पैदल चलकर पहुंचती हैं स्कूल 

Published - Sat 30, Jan 2021

जब मिनी ने बतौर शिक्षिका पढ़ाना शुरू किया, तो इलाके में बिजली नहीं थी और लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। उन्होंने गांव में बिजली पहुंचाने को अपनी प्राथमिकता बनाया, और अब गांव के साथ-साथ स्कूल में भी बिजली है। 

mini korman

मिनी कोरमन केरल के मलप्पुरम जिले की आदिवासी बस्ती अंबुमाला में एक स्कूल में अकेली शिक्षिका है। वह रोज 16 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल में बच्चों को पढ़ाने जाती हैं। मिनी जिस रास्ते से जाती हैं वह जंगल से गुजरता है। इस जंगल में कई खतरनाक जानवर रहते हैं। मिनी केरल में मलप्पुरम की रहने वाली हैं। वह जहां रहती हैं, वह इलाका भी जंगल वाला इलाका है। उनकी स्कूली शिक्षा गांव से सात किलोमीटर दूर एक गांव में हुई, जहां पढ़ने के लिए वह पैदल जाती थी। आगे की पढ़ाई उन्होंने जहां से की, वह जगह भी 18 किलोमीटर दूर थी। परिवहन सुविधाएं नहीं होने के कारण उन्हें पैदल ही जाना पड़ता था। जब केरल में एकल स्कूलों के लिए सरकार ने प्रशिक्षण के बाद भर्ती की, तो उन्हें एक आदिवासी बस्ती के स्कूल में पढ़ाने के लिए नियुक्ति किया गया। मिनी को प्रतिदिन वहां तक पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। जंगली जानवरों से भरे घने जंगलों में जाना थकाऊ और खतरनाक था, पर वह पीछे नहीं हटी। छात्र वहां पढ़ने भी नहीं आते थे। तब मिनी ने बच्चों और उनके परिजनों को को खूब समझाया। लगभग 6 महीने उन्हें समझाने में ही निकल गए। बच्चों को पढ़ाई की समस्याएं थीं, जबकि उनके माता-पिता और परिवार वालों को नौकरी, प्रमाणपत्र जैसी अन्य समस्याएं थी। मिनी ने उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी देनी भी शुरू की, जिससे उनका विश्वास उनके ऊपर बन गया।

डरावना एहसास 

मिनी कहती हैं, 'अपने घर से आदिवासी बस्ती के स्कूल तक पहुंचने के लिए मुझे फिसलन भरे रास्तों होकर पैदल गुजरना पड़ता है। बीच में एक नदी भी पड़ती है। हालांकि वहां पर एक बांस का पुल है, जिसका मैं उपयोग करती हूं। लेकिन अक्सर वह एक डरावना एहसास होता है।' 

बाघ के बच्चे मिले 

स्कूल तक जाने का रास्ता जंगलों से होकर गुजरता है। कई बार जंगल में हिंसक जानवरों से भी सामना हो जाता है। एक बार जंगल में उन्होंने बाघ के शावकों को देखा। शुरू में उन्हें लगा कि वे बिल्ली के बच्चे हैं, लेकिन कुछ ही दूरी पर बाघिन की आवाज सुनाई दी। वह घबरा गई और उन्होंने अपना रास्ता बदल लिया। वह किसी भी तरह स्कूल पहुंची और बच्चों को पढ़ाया भी। 

बिजली भी पहुंचाई

जब मिनी ने बतौर शिक्षिका स्कूल में पढ़ाना शुरू किया, तब इलाके में बिजली नहीं थी। लोग पानी की कमी से जूझ रहे थे। तब उन्होंने गांव में बिजली पहुंचाने को अपनी पहली प्राथमिकता बनाया। और कई प्रयासों के बाद अब गांव के साथ-साथ उनके स्कूल में भी बिजली की सुविधा उपलब्ध है।