चेन्नई की मां-बेटी सुधा और उनकी बेटी नेहा चंद्रनारायण की कला की दीवानी दुनिया है। क्ले से वो ऐसी एक से बढ़कर एक चीजे तैयार करती हैं कि देखने वाले दांतों तले उंगली दबा दें। उनकी कला की डिमांड विदेशों में भी है।
नई दिल्ली। दुनिया में पहचान यूं ही नहीं बनती। उसके लिए कुछ अलग हटकर करना होता है। कुछ ऐसा कि जिसको देखने-सुनने के बाद लोग आपके बारे में और ज्यादा जानने के इच्छुक हो जाएं। ऐसी ही सोच के साथ चेन्नई की मां-बेटी की जोड़ी ने अपनी कला को निखारना शुरू किया और उनकी कला के चाहने वाले सिंगापुर, मलेशिया, और संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप, जापान आदि देशों तक फैले हुए हैं। मां-बेटी सुधा और उनकी बेटी नेहा चंद्रनारायण क्ले मिट्टी से एक से बढ़कर एक डिजाइन तैयार कर देती हैं। उनके द्वारा मिट्टी से बनाई गई कला को लोग अपने घर का हिस्सा बनाना चाहते हैं।
मिट्टी से बना देतीं है अनोखे फूड मिनिएचर
मां-बेटी की क्ले आर्ट इतनी कमाल की है कि दोनों मिलकर अब तक 100 से अधिक फूड मिनिएचर तैयार कर चुकी हैं। उनके द्वारा तैयार किए मिनिएचर में इटली-सांबर से लेकर नारियल की चटनी, बर्गर जैसी चीजें भी शामिल हैं। देखने में छोटे से लगने वाले ये डिजाइन बड़ी बारीकी से तैयार किए जाते हैं। इनको आकार देने से रंग भरने तक में बेहद सावधानी बरती जाती है। जब ये बनकर तैयार होते हैं, तो एकदम असली नजर आते हैं।
दोस्तों ने की तारीफ तो बनाया प्लान
नेहा ने एक बार इन मिनिएचर को तैयार कर अपने दोस्तों को दिखाया। हूबहू असली लगने वाले इन डिजाइन्स को देखकर उनके दोस्तों ने डिमांड कर डाली कि उनके लिए भी वह कुछ अच्छे डिजाइन तैयार करें। नेहा ने अपनी मां सुधा को ये बात बताई और सुधा ने बेटी के लिए मैगी, पानी पुरी, वड़ा पाव और पाव भाजी जैसे कई डिजाइन तैयार किए, जिन्हें खूब पसंद किया गया। इसके बाद मां-बेटी ने तय किया कि वह अपने डिजाइंस को दुनिया को दिखाएंगे और पहुंचाएंगी और इस तरह उनका काम शुरू हुआ। सीएन आर्टस मिनिएचर नाम से उन्होंने क्ले आर्ट से बेहद खूबसूरत फूड मिनिएचर बनाए। इनका आकार मात्र 3 से लेकर 11 सेमी तक था। धीरे-धीरे उनकी कला के चर्च होने लगे। क्षेत्र में पसंद किया जाने लगा, फिर शहर और फिर विदेशों से तक डिमांड होने लगी।
सुधा ने नहीं कि मिनिएचर आर्ट की पढ़ाई
सुधा ने कहीं से भी मिनएचर आर्ट की पढ़ाई नहीं की है। वह पिछले करीब 17 सालों से इन्हें बना रही हैं। जब वह मुंबई में रहा करती थीं, तब वहां एक शार्ट टर्म कोर्स किया था। जहां पर उन्होंने क्ले से ज्वेलरी पेड़ पौधे बनाना सीखा। 2013 में परिवार चेन्नई आ गया और यहां सुधा ने एक छोटी सी वर्कशॉप खोली। यहां लोगों को सिखाना शुरू किया। बेटी नेहा के जन्मदिन पर उन्होंने एक डोसा बनाकर गिफ्ट किया था, तब बेटी के कहने पर उद्यम की शुरूआत की। कई देशों से मिलते हैं ऑर्डर अपनी कला को ऑनलाइन तरीके से मां-बेटी दुनिया में बेच रही हैं। उन्हें सिंगापुर, मलेशिया, अमेरिका, जापान आदि देशों से हर महीने 200 के करीब ऑर्डर मिल जाते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.