जब उनकी बेटी को खांसी आने लगी, तब मुंबई में वायु प्रदूषण की गंभीरता का एहसास हुआ। उन्होंने अपने घर से ही कचरे के समाधान पर काम करना शुरू किया। अब वह कचरे को रीसाइकल कर स्कूल बेंच समेत कई उत्पाद बना रही हैं।
दुनिय के सामने आप एक बड़ी समस्या पर्यावरण स्वच्छ रखनके को लेकर है। दुनिया भर में कई लोगा इसके लिए काम कर रहे है। ऐसा ही एक नाम है मोनिशा नारके। वह मुंबई की रहने हैं। उनके पिता एक इंजीनियर थे और एक छोटी कंपनी चलाते थे। मानिशा अक्सर उनके कारखाने पर जाती थी और मशीनों के कामकाज को देखती और सीखने की कोशिश करती रहती थी। उन्होंने भी इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका चली गई। वहां पढ़ाई के बाद वह एक आईटी कंपनी में काम करने लगी। दो साल बाद मोनिशा मुंबई लौटकर पापा की कंपनी के साथ काम करने लगी। इस बीच उनका विवाह हुआ और एक बच्ची को जन्म दिया। लगभग दस-बारह साल पहले उन्होंने अपने परिवार पर प्रदूषण का असर महसूस किया। उनकी बेटी को लगातार खांसी रहती थी। डॉक्टरों से पता चला कि वायु प्रदूषण के चलते उसे लगातार खांसी आने लगी थी। तब उन्होंने महसूस किया कि इसे छोटे स्तर पर ही सही, घर पर हल किया जा सकता है। इसके बाद उन्होंने घर के कचरे को अलग करना शुरू कर दिया। फिर कुछ लोगों और संगठनों से संपर्क कर इस संबंध में जानकारी हासिल की।
कचरे से खाद
गीले कचरे से उन्होंने खाद बनाना शुरू किया। उसी खाद से सबसे पहले उन्होंने घर में खरबूजा उगाया। प्रकृति का जादू देखकर वह उत्साहित थी। उन्होंने बेटी के स्कूल में पढ़ाई कर रही छात्राओं की माताओं से बात की और 2010 के आसपास एक समूह का गठन किया। उन्होंने वर्कशॉप के माध्यम से 30 लाख से अधिक लोगों को शिक्षित किया है और करीब 100 साइटों में अपने बायो-कंपोस्टर्स स्थापित किए हैं।
गो ग्रीन विद टेट्रा पैक
खाद बनाने के बाद उन्होंने टेट्रा पैक डिब्बों को रीसाइकल करके कम्पोजिट शीट्स का उत्पादन करना सीखा। इस दौरान उन्होंने जाना कि इन कम्पोजिट शीट्स का इस्तेमाल करके ऑटो के अंदर की सीट और स्कूल डेस्क बनाई जा सकती है। इसके लिए उन्होंने वापी के एक रीसाइकल सेंटर का दौरा किया। फिर उन्होंने 'गो ग्रीन विद टेट्रा पैक’ लॉन्च किया।
स्कूलों के लिए बेंच
उनकी संस्था के स्वयंसेवकों ने मुंबई में प्रमुख रिटेल स्टोरों में कलेक्शन सेंटर स्थापित किए, जहां कोई भी अपने इस्तेमाल किए गए दूध के टेट्रा पैकेट डाल सकता है। इन डिब्बों/थैलियों को बाद में कंपोजिट शीट में रीसाइकल किया जाता है, जिससे स्कूल डेस्क, गार्डन बेंच, पेन स्टैंड, कोस्टर, ट्रे जैसे उपयोगी उत्पाद बनाए जाते हैं। बाद में इन्हें जरूरतमंद सरकारी स्कूलों में दान दे दिया जाता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.