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मां ने दिखाया रास्ता तो मिली मंजिल

Published - Fri 28, Aug 2020

नमृता श्रीवास्तव आगरा में सीओ के पद पर तैनात हैं। पिता की मौत के बाद मां द्वारा दिखाए रास्ते पर चलकर नमृता ने पीसीएस की परीक्षा पास की और आज वो पुलिस अधिकारी के पद पर कार्यरत्त हैं।

narmata shrivastav

आगरा। कुछ करने की ठान लिया जाए, तो उसे कोई पूरा करने से नहीं रोक सकता। फिर चाहें, वो कोई काम हो या लक्षय। कुछ ऐसा ही किया आगरा की नमृता श्रीवास्तव ने। नमृता फिलहाल आगरा के लोहामंडी में सीओ के पद पर तैनात हैं। उन्होंने मां के दिखाए रास्ते पर चलकर पिता का सपना पूरा किया और आज वह पुलिस अफसर की भूमिका निभा रही हैं। नमृता का बचपन बेहद ही सुकून और शांति से बीता। पिता पीसीएस अधिकारी थे, तो पिता ने किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। अच्छी परवरिश, अच्छी शिक्षा, अच्छे संस्कार सब नमृता को बचपन से ही मिले। नमृता जब भी पिता को देखतीं, तो उनको देखकर नमृता के मन में भी सपना घर कर गया कि वो पिता की तरह अफसर बनेंगी। पढ़ने-लिखने में अव्वल नमृता 11वीं क्लॉस में थीं, इसी बीच एक खबर ने उन्हें झकझोर दिया। उनके पिता की मौत की खबर उनके लिए एक वज्रपात समान था। पिता की मौत के बाद नमृता का बचपन मानों छिन सा गया। वो गुमसुम सी रहने लगीं। पिता की मौत के बाद परिवार को चलाने के लिए मां ने नौकरी शुरू की और नमृता अपनी पढ़ाई में मशगूल हो गईं। नमृता को पता था कि उन्हें आगे क्या करना है। बस इसी सपने को पूरा करने के लिए वो आगे बढ़ रहीं थीं। वो पिता की तरह अफसर बनना चाहती थीं। लेकिन वो इसको लेकर असमंजस में थीं, इसी उधेड़बुन में उनकी मां उनकी मार्गदर्शक बनीं और आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया। इस रास्ते पर बढ़ते हुए नमृता ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

पढ़ने के लिए गईं दिल्ली
पिता की तरह पीसीएस अफसर बनने के लिए नमृता को मां ने पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया। मां के भरोसे और खुद के सपने को संजोय नमृता ने जीतोड़ मेहनत की और और इसी का परिणाम था कि 2005 के पीसीए बैच में उनका चयन हो गया। इससे पहले बीडीओ में चयन हो गया था। छह महीने बाद पुलिस में आई।  इसके बाद एक चुनौतियां आती चली गईं। हर कदम पर खुद को औरों से बेहतर साबित करना पड़ा। शुरू में ऐसे कमेंट भी सुनने पड़े, आप कहां पुलिस में अधिकारी बनने चलीं आईं। तब लगा, कोई गलती तो नहीं कर दी। मगर, इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वरिष्ठ अधिकारी क्राइम कंट्रोल के लिए पहले पुरुष अधिकारियों को तवज्जो देते हैं। इस पर खुद को साबित करने की चुनौती रहती है। अपराध और अपराधियों को कंट्रोल करने पर फोकस किया, सबका भरोसा जीता। आज नमृता एक बेहतर और काबिल पुलिस अफसर के तौर पर आगरा में अपने काम को अंजाम दे रही हैं।