बंगलुरु की रेवा मलिक शहर में पली-बढ़ी महिला हैं, लेकिन उनके घर में न पंखा है बल्ब। वो पर्यावरण बचाने की दिशा में काम कर रही हैं।
नई दिल्ली। रेवा का घर 770 वर्ग फीट का है। शहर में पली-बढ़ीं। अच्छी शिक्षा ग्रहण की। नौकरी भी आईटी कंपनी में करती हैं, लेकिन अगर आप उनके घर में जाएंगे, तो पाएंगे कि उनका घर बिल्कुल ईको फ्रेंडली है। मिट्टी से बना उनका घर शहरी सुख-सुविधाओं से एकदम अलग है। अपनी पति रंजन के साथ यहां रहने वाली रेवा को अपने घर से बेहद प्यार है और इस घर से कोई शिकायत भी नहीं है।
पर्यावरण के लिए कुछ करना चाहती हैं
शहर में पली-बढ़ी रेवा देश में बढ़ते प्रदूषण, कटते पेड़ और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर बेहद चिंतित हैं। रेवा बचपन से ही सोचती थीं कि वह पर्यावरण की दिशा में काम करेंगी, लेकिन जीवन की भागदौड़ के बीच वो इस दिशा में काम नहीं कर सकीं, तो शादी होने के बाद उन्होंने इस तरह से पर्यावरण की दिशा में काम किया। रेवा अपने पति रंजन के साथ मिट्टी से बने घर में रहती हैं। अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी छत पर सोलर पैनल लगा लिया है। इस घर को डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म माहिजा द्वारा बनाया गया है। इस घर को स्थानीय रूप से उपलब्ध संसाधनों और रीसायकल किए गए सामानों से बनाया है। रेवा प्रकृति से नजदीकी बढ़ाना चाहती हैं और इसलिए ही उन्होंने इस घर का निर्माण कराया है। रेवा कहती हैं कि हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को हल्के में ले रहे हैं, लेकिन ये बेहद गंभीर है। इस दिशा में सभी को सोचना होगा।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.