मुग्धा सिन्हा राजस्थान कैडर की 1999 बैच की आईएएस अफसर हैं। उन्होंने ईमानदारी की कीमत 14 बार स्थानांतरण के रूप में चुकाई है। अपनी निडरता के कारण वह जनता के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। उनके जीवन का मंत्र है सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।
नई दिल्ली। मुग्धा राजस्थान कैडर की 1999 बैच की आईएएस अफसर हैं जो झुंझनू जिले की पहली महिला कलेक्टर भी हैं। अपनी बेबाकी और ईमानदारी से काम करने की कार्यशैली के कारण अपनी 15 साल की सेवा में उनका 14 बार ट्रांसफर हो चुका है। मुग्धा अपने लाइफ में केवल एक मंत्र को फॉलो करती हैं कि “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं”।
थरथर कांपते हैं गुंडे
माफिया और गुंडे उनके नाम से थरथर कांपते हैं। अपनी योग्यता और सिस्टम की ताकत से लैस होकर उन्होने शासन-प्रशासन की बागडोर थामी और सभी अवैध और गोरख धंदो को झुंझनू से खत्म किया। अपने अड़ियल स्वभाव के कारण मुग्धा को कई बार मुश्किलों का करना पड़ा लेकिन वह देश और नागरिको की सेवा में लगी रहीं। जब ये झुनझुनु की पहली कलेक्टर बन कर गई तो इन्होंने शुरू से ही आम आदमियों के मुश्किलों को सुनने की पहल की। जिसके कारण इन्हें आम लोगों के बीच में काफी लोकप्रियता मिलने लगी।
कभी समझौता नहीं किया
मुग्धा अपने लाइफ में केवल एक मंत्र को फॉलो करती हैं कि “सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं”। इस कारण मुग्धा ने अब तक अपने काम से समझौता नहीं किया है। वह आज की युवतियों के लिए साहस और दृढ इच्छाशक्ति का प्रतीक है।
ईमानदारी की कीमत स्थानांतरण से चुकानी पड़ी
आईएएस मुग्धा सिन्हा को अपने डेढ़ दशक के करियर में एक दर्जन से अधिक बार स्थानांतरण की कीमत चुकानी पड़ी है। वह भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं की भी आंख में गड़ती रहती हैं लेकिन वह जहां भी होती हैं, उस इलाके का हर सही, आम आदमी उनकी दिल से कद्र करता है। राजस्थान में एक बार तो उनके ट्रांसफर के खिलाफ गांव वाले सड़कों पर उतर पड़े। प्रदर्शन करने लगे। उस वक्त किसी तरह भीड़ को काबू किया गया लेकिन मुग्धा का ट्रांसफर नहीं थमा।
बेखौफ होकर किया अपना हर काम
सर्वोच्च प्रशासनिक पदों पर बैठे कई ऐसे अधिकारियों और सत्ता की कुर्सी संभाल रहे नेताओं के बीच भ्रष्ट किस्म का गठजोड़ मुग्धा जैसे अफसरों के काम में बाधा बना रहता है। उन्होंने झुंझुनू में ग्राउंड वाटर से जुड़े गैरकानूनी मामलों को बड़ी निडरता से हल किया। यहां बेखौफ माफिया और दबंग, अनुसूचित जाति के लोगों की जमीनों पर कब्जा करते जा रहे थे। कलेक्टर सिन्हा ने उन सब का डटकर सामना किया।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.