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आरपीएफ में तैनात रेखा मिश्रा के जज्बे को सलाम

Published - Sat 03, Apr 2021

मुंबई में रेलवे सुरक्षाबल में तैनात रेखा मिश्रा अब तक 950 से अधिक बच्चों की जान बचा चुकी हैं।

rekha

मुंबई। बच्चों की तस्करी, अपहरण आदि की घटनाएं आए दिन देखने सुनने को मिल जाती हैं। इनमें से कुछ ही बच्चे खुशनसीब होते हैं, जो दोबारा अपने परिवार से मिल पाते हैं। तस्करी या अपहरण कर ले जाए जा रहे बच्चों के लिए मुंबई की रेखा मिश्रा एक मसीहा हैं। तस्करी कर बच्चों को बचाने में रेखा जी-जान से जुटी रहती हैं और उनके इस जज्बे को पूरा देश सलाम करता है। वो अब तक 950 से अधिक बच्चों को बचा चुकी हैं।
परिवार से मिली प्रेरणा
रेखा के पिता सेना में थे। उन्होंने ही रेखा को प्रेरणा दी कि सुरक्षा क्षेत्र में जाकर समाज और देशसेवा की जाए। रेखा ने मेहनत की और आरपीएफ में चयन हो गया। कई जगह तैनात रहने के बाद मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन पर ड्यूटी लगी। एक बार उन्होंने देखा कि एक लड़की ट्रेन में अकेले चढ़ रही थी, रेखा ने उसका हाथ पकड़कर खींचा, तो लड़की रोने लगी और बचाने की गुहार लगाई। उसका अपहरण हुआ था और अपहरणकर्ता उससे शादी करना चाहता था। रेखा ने घेराबंदी कर अपहरणकर्ता को मौके से ही पकड़ लिया। इसी तरह उन्होंने घर से भागकर अपने वाले बच्चे, मानव तस्करी कर ले जाए जा रहे बच्चे आदि को बचाया है, जिनकी संख्या अब तक हजार के पार कर चुकी है।
मिल चुका है नारी शक्ति अवार्ड
अब तक रेखा अलग-अलग रेलवे स्टेशनों पर से बेसहारा, लापता, अपहृत या भागे हुए बच्चों को बचा चुकी हैं। उनके काम को सम्मान भी मिला और सरकार ने उन्हें नारी शक्ति अवार्ड से सम्मनित किया है। उनके काम को महाराष्ट्र में एसएससी पाठ्यपुस्तकों में एक अध्याय के रूप में शामिल किया जा चुका है।

आलोचना से दुखी हैं
सैकड़ों बच्चों की जान बचाने के बाद भी वह आलोचनाओं से दुखी हैं। हालांकि सरकार ने उनके काम को सराहा है, लेकिन समाज में कहीं न कही उनको ताने ही मिले हैं। अक्सर उनसे सवाल किया जाता है कि ड्यूटी करोगी, तो घर का खाना कौन बनाएगा। लोग उनसे सवाल करते हैं कि बच्चे कब पैदा करोगी। वहीं लोग उनसे ये भी कहते हैं कि जो काम वो कर रही हैं वो महिलाओं के लिए नहीं है।