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नलेली कोबो ने तेल के कुएं बंद कराने को उठाई आवाज

Published - Sun 07, Mar 2021

अमेरिका की रहने वाली नलेली कोबो ने छोटी सी उम्र से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले तेल के कुओं को बंद कराने के लिए आवाज उठाई और वह इसमें कामयाब भी हो गईं। इस दौरान वह कैंसर जैसे भयानक रोग से ग्रस्त भी हुईं लेकिन अब डॉक्टरों ने उन्हें कैंसरमुक्त घोषित कर दिया है। लोग उनके जज्बे और हौसले को सलाम करते हैं। आइए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जानें उनकी कहानी।

Nalley kobo

नई दिल्ली। जिस समय अमेरिकी प्रांत लॉस एंजेल्स में  आम लोगों ने एक तेल कंपनी के खिलाफ संघर्ष शुरू किया, उस समय नलेली कोबो की उम्र महज 9 साल की थी। उस समय वह अस्थमा, नाक से खून निकलने और सिरदर्द जैसे रोगों से परेशान रहती थीं लेकिन उन्हें इसकी वजह पता नहीं थी। लॉस एंजेल्स में ही उनके घर से केवल कुछ दूरी पर तेल का एक कुआं था, जिसके कारण ही उन्हें यह स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां हो रही थीं। इसकी जानकारी उन्हें बाद में हुई। जिसके खिलाफ तब उन्होंने एक प्रकार का युद्ध छेड़ दिया। उन्होंने महसूस किया कि केवल वहीं नहीं आसपास के लोग भी किसी न किसी स्वास्थ्य संबंधी परेशानी से जूझ रहे थे। उनके परिवार में भी सब बीमार रहते थे। तब उन्होंने सभी को एकजुट किया और कुएं की साइट को अस्थाई तौर पर बंद कराकर ही सांस लीं। 

आगे भी जारी रखा अभियान 

साइट बंद होने के बाद नलेली ने युवा कार्यकर्ताओं के संगठन के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। उन्होंने दूसरे संस्थानों के सहयोग से कुएं से तेल निकालने के नियमों को सख्त करने की मांग की। उनकी यह कोशिश रंग लाने लगी और लोग उनसे जुड़ने लगे। उन्होंने सभी को कुएं के बारे में बताना शुरू किया और सभी ने यह माना कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है। आसपास की गंध से लोग परेशान थे। तब सबने मिलकर एक टॉक्सिकोलॉजिस्ट की मदद ली। उसने लोगों को बताया कि तेल को साफ करने और उसके उत्सर्जन के लिए कुछ रसायनों का इस्तेमाल यहां किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक इसके संपर्क में रहेगा तो उसकी सेहत पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इसके बाद ही सभी को तेल के कुएं के बारे में सही जानकारी मिली। 

19 साल की उम्र में कैंसर के बारे में पता चला

नलेली उस समय 19 साल की थीं, जब उन्हें पता चला कि उन्हें कैंसर है। इसके बाद उन्होंने साल 2020 की शुरुआत में पर्यावरण और दूसरे सामाजिक मुद्दों पर अपनी सक्रियता को कम कर दिया। उनके डॉक्टर को नहीं पता है कि उन्हें कैंसर कैसे और क्यों हुआ। तीन ऑपरेशन और मेडिकल ट्रीटमेंट के बाद हाल ही में उन्हें कैंसर-फ्री घोषित कर दिया गया है।

पीपुल नॉट पोजोस नाम से शुरू की जंग
नलेली कहती हैं कि सबके साथ मिलकर हमने पीपुल नॉट पोजोस नाम से एक कैंपेन शुरू किया। इसका स्पेनिश शब्द है, तेल का कुआं। कुएं के खिलाफ हमने साउथ कोस्ट एयर क्वालिटी मैनेजमेंट डिस्ट्रिक्ट में शिकायत दायर करवाई। लॉस एंजिल्स टाइम्स ने हमारे बारे में एक कहानी लिखी और इसने यूएस के पूर्व कैलिफोर्निया सीनेटर बारबरा बॉक्सर का ध्यान अपनी ओर खींचा। बॉक्सर पर्यावरण संरक्षण एजेंसी के जांचकर्ताओं को साथ लेकर यहां आए और इसके बाद उन्होंने जांच की। तब उन्होंने इसे बंद करने की घोषणा की।  यह लड़ाई 2010 में शुरू की थी लेकिन फैसला साल 2013 में आया और अब हम चाहते हैं कि यह स्थायी तौर पर बंद हो जाएं।

राजनीति में जाना चाहती हैं 

नलेली की मानें तो मैंने अन्य संगठनों के साथ मिलकर कैलिफोर्निया पर्यावरण गुणवत्ता अधिनियम के उल्लंघन के लिए 2015 में लॉस एंजेल्स शहर पर मुकदमा दायर किया था। जिसे हम जीत गए और इसका मतलब ये हुआ कि अब जब भी कोई नए कुंओं को खोलेगा या फिर उनका विस्तार करेगा तो उसे नए तरीके से आवेदन करना होगा। इससे ऐसे अवैध रूप से चल रहे कुओं पर अंकुश लगेगा। वह कहती हैं कि भले ही अब मैं वहां नहीं रहती लेकिन मैं तेल के कुओं और स्कूलों या फिर अस्पतालों या फिर पार्क के बीच कम से कम 2300 फीट के बफर जोन बनाने के लिए अभियान चलाती हूं।  एक कार्यकर्ता होने के अलावा मेरे भी शौक हैं। मुझे मेकअप पसंद है, मुझे घूमना पसंद है। मैं एक डांसर हूं और मैं फिलहाल कॉलेज में पढ़ रही हूं। मैं कैंसर मुक्त हो चुकी हूं, इस बात से बेहद खुश हूं। मैं एक सिविल राइट्स अटॉर्नी के तौर पर अपना करियर बनाना चाहती हूं और बाद में राजनीति में जाना चाहती हूं।