फ्रांस की नेतली बिन लॉकडाउन के कारण फ्रांस नहीं लौट पाईं और थाईलैंड में फंस गईं। इस दौरान थाईलैंड में लोगों से मिली मदद के बाद उन्होंने वहां के लोगों की मदद करना शुरू कर दिया।
नई दिल्ली। मुसीबत छोटी हो या बड़ी अगर उस समय मदद के लिए कोई हाथ आगे आ जाए, तो राहत तो मिलती है। मुसीबत से लड़ने की हिम्मत भी पैदा होती है। ऐसा ही कुछ फ्रांस की नेतली बिन के साथ भी हुआ। लॉकडाउन के कारण वह थाईलैंड में फंस गईं। हालांकि उनका बिजनेस पेरिस में था, तो वह यहां बिजनेस के सिलसिले में आईं थीं। लॉकडाउन लगा, तो नेतली को लगा कि परदेस में फंसे होने के कारण उनतक मदद नहीं पहुंच पाएगी, लेकिन यहां के लोगों ने उनकी मदद की और हौंसला दिया कि सब जल्द सही होगा। उन्होंने सोचा कि इस परेशानी में फंसे लोग रोजमर्रा की जरूरत कैसे पूरा कर रहे होंगे। बस फिर क्या था, इसी आइडिया पर काम शुरू किया और थाईलैंड के लोगों की मदद करना शुरू किया।
तीस हजार लोगों तक पहुंचाया खाना
नेतली थाईलैंड में फंसी थीं, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने यहां के तीस हजार जरूरतमंद लोगों को फ्रेश फूड पहुंचाया। साथ ही जरूरत की चीजों को भी दिया। ये वो लोग थे, जो घरेलू सहायक, रेहड़ी पटरी लगाते थे। नेतली ने शेफ्स से लेकर वालंटियर्स का एक नेटवर्क तैयार किया ताकि वह अपनी महामारी के चलते प्रभावित लोगों की मदद कर पाएं। उन्होंने ग्रुप को नाम दिया कोविड थाईलैंड एड । उनका ग्रुप 100 लोकेशन से अधिक 30 हजार से ज्यादा लोगों को अब तक फ्रेश पका हुआ खाना और केयर पैकेज पहुंचा चुका है।
ऐसे फंसी थीं नेतली
नेतली को फ्रांस लौटना था, लेकिन फ्लाइट बैन होने की वजह से फ्रांस लौट नहीं पाईं। यहां उनका घर और ई-कॉमर्स का बिजनेस था। थाईलैंड में फंसी होने के बाद उन्होंने स्थानीय लोगों की मदद से जरूरतमंदों को ग्रोसरी की मदद की। हालांकि अब लॉकडाउन हट चुका है, लेकिन उनका सफर बड़ा हो चुका है और उनके साथ 450 वालंटियर्स शामिल हो चुके हैं। थाईलैंड में उनका ग्रुप 32 प्रांतों में जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहा है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.