फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर निधि परमार हीरनंदानी लॉकडाउन के दौरान मां बनी थीं। तब से लेकर अब तक वह 42 लीटर ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर कई बच्चों का जीवन बचा चुकी हैं।
नई दिल्ली। मां बनना हर महिला की ख्वाहिश होती है। जब नवजात मां की गोद में आता है और उसके सीने से लगकर स्तनपान करता है, तो वो सुखद अहसास उसे जिंदगी भर याद रहता है। फिल्ममेकर और प्रोड्यूसर निधि परमार हीरनंदानी ने भी ऐसे खूबसूरत लम्हों को जिया है। वो लॉकडाउन के दौरान मां बनी थीं। इस दौरान अपने बच्चे को स्तनपान कराते समय उन्होंने महसूस किया कि उनके पास काफी ब्रेस्ट मिल्क स्टोर्ड है, जो बेकार न जाए इसके लिए उसको किसी जरूरतमंद तक पहुंचा दिया जाए। परिवार और दोस्तों से बात करने के बाद उन्होंने ब्रेस्ट मिल्क डोनेट करने का फैसला किया। इंटरनेट पर सर्च किया, तो पता चला कि मुंबई में एक अस्पताल में ब्रेस्ट मिल्क बैंक चल रहा है। लॉकडाउन लग गया, तो उनको झटका लगा, लेकिन फिर भी वो इस बैंक तक ब्रेस्ट मिल्क पहुंचाने में कामयाब रहीं। मई से लेकर अब तक वो 42 लीटर से ज्यादा ब्रेस्ट मिल्क डोनेट कर चुकी हैं। उन्होंने जहां मिल्क डोनेट किया है, उस अस्पताल के नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट में कई प्रीमेच्योर बच्चे भर्ती हैं जिनका वजन कम है और उनकी मां को दूध भी नहीं उतर रहा। उनके द्वारा दान किया गया ये मिल्क इन बच्चों को दिया गया।
60 बच्चों तक पहुंचा मां का दूध
निशा द्वारा दान किए गए दूध को इस अस्पताल में साठ ऐसे बच्चों को दिया गया जिन्हें मां के दूध की जरूरत थी। निशा ने खुद अस्पताल जाकर इन बच्चों को देखा और महसूस किया कि वाकई इन्हें इसकी जरूरत है। निशा का कहना है कि जब तक उनके स्तनों से दूध आता रहेगा, वो इसे दान करती रहेंगी, जिससे किसी नवजात का जीवन बच सके।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.