आंध्रप्रदेश के पुल्लिगुड़ा गाउन में रहने वाली निहारी मंडली अब हैदराबाद में रहती हैं। निहारी ने एक समय खुद को खत्म करने के लिए आग के हवाले कर दिया, लेकिन बचने के बाद उन्हें समझ आया कि पीड़ित महिलाओं के लिए कुछ करना है और आज वो ऐसी महिलाओं क लिए काम कर रही हैं।
नई दिल्ली। आंध्रप्रदेश के पुल्लिगुड़ा गाउन में रहने वाली निहारी ने जब होश संभाला तो अपने आसपास महिलाओं को बुरी दशा में ही देखा। न महिलाओ को कोई अधिकार न शिक्षा बस प्रताड़ना ही प्रताड़ना। चूंकि पुरुष प्रधान समाज है, तो निहारी ने इसे अपनी नियति मान लिया और वो भी समाज के मूक समर्थन के साथ चलने लगीं। बड़ी हुईं,तो उनकी शादी हो गई। शादी के बाद हर लड़की के सपने होते हैं, निहारी के भी थे, लेकिन शादी के बाद उनका जीवन और नरक हो गया। उनका पति शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ था, लेकिन लेटे-लेटे ही मलमूत्र त्यागता था और निहारी से साफ करवाता था। निहारी उसके इस बर्ताव से मानसिक और शारीरिक दोनों रूप से प्रताड़ित होने लगीं। विरोध करने पर पति द्वारा पीटा जाता। परेशान होकर निहारी मायके आ गईं, लेकिन मायके वालों ने भी समझा-बुझाकर उसी नरक में वापिस भेज दिया। ससुराल लौटने के बाद पति का अत्याचार और बढ़ने लगा। परेशान होकर एक दिन निहारी ने खुद को आग के हवाले कर दिया। जिस वक्त उन्होंने आग लगाई उस वक्त वह गर्भवती थीं। आग की लपटों ने उन्हें बुरी तरह झुलसा दिया था। निहारी बच तो गईं, लेकिन उनकी समझ में आ गया था कि खुद को आग लगाने से कुछ नहीं होगा। जब तक जागरूकता नहीं होगी, ये जुल्म चलता रहेगा। उन्होंने अपना जीवन दूसरी महिलाओं के प्रति समर्पित कर दिया और यहां से शुरू हुआ निहारी का नया जीवन।
खोला एनजीओ और पति से किया किनारा
निहारी ने इस घटना के बाद एक एनजीओ की नीव रखी, जिसका नाम रखा ‘बर्न सर्वाइवर सेवियर ट्रस्ट।’ कुछ समय तक तो पति से रिश्ता रहा, लेकिन बाद में निहारी ने तलाक ले लिया और अपने पढ़ाई पूरी करने लगीं। उन्होंने कॉरेस्पोंडेंस से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई भी की। उनके एनजीओ का मकसद पीड़ित महिलाओं को नई जिंदगी की उम्मीद देना है। निहारी अपने एनजीओ की मदद से पीड़ित महिलाओं की मदद करने, इलाज, सक्षम बनाने, हौसला देने, कानूनी मदद करने आदि का काम कर रही हैं।तमाम अवार्ड की विजेता रही निहारी को हाल ही में “लेडी लेजेंड्स ऐकलेड” का खिताब हासिल हुआ है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.