तमिलनाडू की 105 साल की पप्पामल 70 सालों से जैविक खेती कर रही हैं। उनके काम के लिए उनको राष्ट्रीय सम्मान पदमश्री से सम्मानित किया गया है।
नई दिल्ली। 105 वर्षीय पप्पामल को बधाई देने के उनके घर के बाहर लोगों की भीड़ लग रही है। लगे भी क्यों इस बुजुर्ग किसान दादी का पदमश्री जो मिला है। उन्हें गांव में आर रंगामा भी कहा जाता है। तमिलनाडु में नीलगिरी की तलहटी के पास भवानी के तट पर थेक्कमपट्टी गांव के निवासी दादी पिछले सत्तर सालों से जैविक खेती कर रही हैं। जैविक खेती करने के साथ-साथ उन्होंने लोगों को इसके लिए जागरुक भी किया है।
दस एकड़ पर शुरू की थी खेती
सात दशक पहले दादी ने अपनी दुकान चलाने के लिए की गई बचत से दस एकड़ कृषि भूमि खरीदी और उसपर काम करना शुरू किया। वह अभी भी 2.5 एकड़ में जाती है, जहां वह बाजरा, केले और भिंडी सहित विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती करती है। सुबह के पांच बजे से उनका दिन शुरू हो जाता है और वो इस समय खेतों पर काम शुरू कर देती हैं। वह तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय की सलाहकार समिति का भी हिस्सा हैं। वह गांव से लेकर राज्य और देश के विभिन्न राज्यों में जैविक खेती को लेकर सम्मेलन और शिविरों में हिस्सा लेती हैं।
राजनीति में भी है दबदबा
उनका पसंदीदा भोजन मटन बिरयानी है और वह केवल एक पत्ते पर खाती हैं। उन्होंने राजनीति में भी दबदबा बनाया, और थेक्कमपट्टी पंचायत के पूर्व वार्ड सदस्य और करमादई पंचायत संघ में पार्षद के रूप में चुनी गईं। वह प्रोविजन स्टोर और भोजनालय चलाती है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.