इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद हरियाणा की प्रवीण कौर ने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीतीं भीं। प्रवीण अपने गांव को देश का बेहतरीन गांव बनाने के प्रयास में हैं। उनके प्रयास की खूब तारीफ भी हो रही है।
नई दिल्ली। हरियाणा में बेटियों की स्थिति एक समय ऐसी थी कि लोग वहां बेटियों पर लगी पाबंदियों को सुनकर सिहर जाते थे। शिक्षा से लेकर तमाम अन्य विषयों तक बेटियों को हक नहीं दिया जाता था। लेकिन आज हरियाणा की बेटियां शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, देश की राजनीति से लेकर गांव की राजनीति तक में अपना परचम लहरा रही हैं। हरियाणा के कैथल जिले के गांव ककराला कुचियां की युवा सरपंच प्रवीण कौर आज गांव की किस्मत बदलने में लगी हुई हैं। प्रवीण अपने गांव को देश का बेहतरीन और हाईटेक गांव बनाना चाहती हैं और बना भी रही हैं। प्रवीण के प्रयासोंको देखते हुए केंद्र सरकार उन्हें युवा सरपंच प्रधानमंत्री अवार्ड से भी सम्मानित कर चुकी है।
कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग
प्रवीण का अपने गांव से बेहद लगाव है। जब प्रवीण ने होश संभाला तो गांव की दुर्दशा देखकर उन्हें बेहद गुस्सा आता था। सड़कें खराब थीं, गांव में गंदगी का अंबार लगा रहता था। पीने का पानी नहीं था। प्रवीण ने मन में ठान लिया था कि खूब पढ़ेंगी और गांव के लिए कुछ करेंगी। पढ़ने में बचपन से ही होनहार रहीं प्रवीण ने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की हैं। इसके बाद एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे पैकेज की नौकरी शुरू का ऑफर मिलने के बाद भी उन्होंने नौकरी नहीं की। गांव की कायाकल्प करने का सपना देखा और गांव लौट आईं। साल 2016 में पंचायत चुनाव थे। उस दौरान गांव के ही कुछ लोग उनके पिता के पास पहुंचे और कहा कि गांव में कोई पढ़ा-लिखा नहीं हैं, तो क्यों न बिटिया को इस बार सरपंच का चुनाव लड़ाया जाए। शुरू में में खुद प्रवीण और पिता इसके लिए तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में वो मान गईं और मात्र 21 साल की उम्र में उन्होंने हरियाणा की सबसे कम उम्र की सरपंच बनकर दिखाया और गांव की तस्वीर बदल दी।
समस्याओं की लिस्ट की तैयार हो शुरू किया काम
सरपंच बनने के बाद प्रवीण गांव को हाईटेक और सुंदर बनाने के प्रयास में जुट गईं। उन्होंने इसके लिए समस्याओं की एक लिस्ट तैयार की और एक-एक कर सारे काम निपटाती गईं। सबसे पहले सड़कें ठीक कराईं। पानी की किल्लत दूर करने के लिए वाटर कूलर लगवाए। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे गांव में सीसीटीवी कैमरा, रोशनी के लिए सोलर लाइट आदि लगवा दीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.