पेशे से फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. नैना अरोड़ा जयपुर में दिव्यांग बच्चों की शिक्षा के कठिन विषयों में रूचि जगाने के लिए काम कर ही हैं। उनके इस प्रयास से हजारों दिव्यांगों को लाभ हो चुका है।
जयपुर। दिव्यांग बच्चों को शिक्षा देना और उनकी शिक्षा में रूचि जगाना बेहद जटिल काम है। हर कोई इस दिशा में कुछ कर गुजरने की नहीं सोचता, बल्कि इससे मुंह मोड़ लेते हैं, लेकिन जयपुर की फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. नैना अरोड़ा ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने दिव्यांग बच्चों की गणित और विज्ञान जैसे जटिल विषयों में रूचि जगाने की ठानी और आज इसको लेकर कई प्रोजेक्ट भी चला रही हैं और दिव्यांगों को सक्षम भी बना रही हैं। जब दिव्या ने फिजियोथैरेपी की पढ़ाई पूरी की, तो उन्होंने कुछ अलग करने की सोची और कुछ ऐसा जिसे करने में समाज का भला हो। वो करीब दो साल तक सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ी रहीं और कुछ ऐसा किया, जिसका लाभ दिव्यांगों को हो रहा है।
रोचक तरीके से गणित और विज्ञान का ज्ञान
दिव्यांग बच्चों को पढ़ाना बेहद जटिल काम है। ऐसे में दिव्या ने ऐसी तकनीक पर काम करने की पहल की जिसमें गणित और विज्ञान जैसे जटिल विषयों को भी दिव्यांग बच्चें आसानी से समझ सकें पढ़ सकें। इसके लिए उन्होंने एक प्रोजेक्ट किट तैयार की, जिसमें माध्यम से वो दिव्यांगों को प्रेक्टिल नॉलेज देने लगीं।
दिव्यांगों की परेशानी को समझा और शुरू किया काम
नैना ने काम के दौरान देखा कि कई दिव्यांग बच्चों को ठीक से पेसिंल पकड़ना भी नहीं आता है और वो गरीब घरों से ताल्लुक रखते हैं। उनके माता-पिता के पास इतने संसाधन नहीं होते कि वो उन्हें अच्छे स्कूल में डालकर उनकी शिक्षा पूरी करा सके। कुछ बच्चे ऐसे भी देखे, जो अक्षरों को पहचान नहीं नही पाते थे। तब उनहोंने इसी दिशा में काम करने की पहल की। नैना ने सोचा कि अगर इन बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाया और सिखाया जाए तो ये जल्दी सीखेंगे। डॉक्टर नैना ने अपने साथी देवेन्द्र पुनिया के साथ मिलकर ‘वंडरकाइंड इन्फोटेक’ नाम से कंपनी की शुरूआत की। इस कंपनी ने दिव्यांग बच्चों के लिए किट और माड्यूल डिजाइन करने का काम शुरू किया। ये किट तीसरी कक्षा से 12वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए थी, जिसकी मदद से बच्चे गणित और विज्ञान जैसे कठिन विषयों को भी आसानी से समझ सकते थे। उन्होने अपनी किटों के माध्यम से बच्चों के प्रैक्टिकल पर ज्यादा जोर दिया है।
बच्चों की रूचि के अनुसार तैयार किया किट
नैना ने इस किट को अपने हिसाब से तैयार न करके बच्चों की रूचि के हिसाब से तैयार किया, जिससे बच्चे जल्दी सीखें और बच्चे के लिए विषय का कॉसेप्ट स्पष्ट हो। इस किट को तैयार करने से पहले नैना बच्चों को स्कूल में जाकर उनके साथ वर्कशॉप करतीं और जानतीं कि बच्चे कैसे और क्या सीखना चाहते हैं। आज नैना दिल्ली, गुड़गांव और जयपुर जैसे शहरों में ही नहीं बल्कि थाइलैंड और ट्यूनिशिया के स्कूलों में भी वर्कशॉप का आयोजन कर चुकीं हैं।
शुरू किया ‘प्रोजेक्ट ऑफ स्कूल’
डॉक्टर नैना ने बच्चों के लिए एक वेबसाइट ‘प्रोजेक्ट ऑफ स्कूल’ की शुरूआत की। इसमें वर्कशॉप, किट डिजाइन, रिसर्च,डॉक्टर नैना ‘प्रोजेक्ट ऑफ स्कूल’ नाम से एक वेबसाइट भी चलाती हैं जो बच्चों के लिए काफी मजेदार है। साथ ही उनकी वर्कशॉप भी है जिसमें किट की डिजाइन, रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग का काम किया जाता है। वो जो किट तैयार करती हैं, उसको तैयार करने में पर्यावरण का पूरा ध्यान रखा जाता है। लकड़ी की इस किट में कम से कम प्लास्टिक के इस्तेमाल की कोशिश की जाती है। प्लास्टिक के स्थान पर वो रिसाइकिल वेस्ट, पुराने कपड़ों की कतरने आदि का प्रयोग करती हैं। ‘प्रोजेक्ट ऑफ स्कूल’ का जयपुर के 4 स्कूलों के साथ करार है जहां पर वो किट के साथ एक टीचर ट्रैनिंग माड्यूल भी स्कूलों को देतीं हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.