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पूनम का कद छोटा है, लेकिन हौसले बुलंद हैं

Published - Fri 03, Jul 2020

भोपाल की पूनम की लंबाई महज 2.8 फुट है, लेकिन पूनम के सपने बहुत ऊंचे हैं और ऊंची सोच और मेहनत के दम पर पूनम देश की सौ सम्मानित महिलाओं की सूची में शामिल होकर राष्ट्रपति पुरस्कार पा चुकी हैं।

नई दिल्ली। कहते हैं कि जब मुश्किलें सामने हों, तो डरना नहीं चाहिए, उनका मुकाबला करना चाहिए। जो मुकाबला करता है, वो जीत जाता है। कुछ ऐसा ही भोपाल की पूनम श्रोती ने भी किया। ओस्टियोजेनिसिस बीमारी से पीड़ित पूनम की उम्र 32 साल है और गंभीर रोग से जूझ रही हैं, लेकिन पूनम पूनम ग्रामीण विकास के अलावा, महिला सशक्तिकरण और दिव्यांग लोगों को उच्च शिक्षा देने के साथ साथ उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। वो अपनी शारीरिक कमजोरी को कमजोरी न मानकर उसे छोटी सी परेशानी समझकर आगे बढ़ रही हैं और लोगों को प्रेरणा दे रही हैं।

गंभीर बीमारी है पूनम को
पूनम ओस्टियोजेनिसिस नामक एक गंभीर बीमारी से जूझ रही हैं, जिसमें हल्की सी ठोकर लगने पर ही हड्डी टूट जाती है। बचपन में जब उनकी लंबाई नहीं बढ़ी और विकास रुक गया, तो चिकित्सकों को दिखाने पर बीमारी का पता चला। इसके बावजूद पूनम ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई भोपाल के एक केन्द्रीय विद्यालय से की और फाइनेंस जैसे विषय में एमबीए की पढाई की है। इतना ही नहीं एमबीए करने के बाद पूनम ने डिस्टेंस लर्निग से एचआर की पढाई की है।

किया परेशानियों का सामना
शारीरिक कमजोरी के बावजूद भी पूनम अपनी मेहनत और लगन के दम पर आगे बढ़ती गईं, लेकिन समाज में उनके साथ हमेशा भेदभाव होता रहा। पर इसको उन्होंने सकारात्मक तरीके से लिया और पढ़ाई पूरी की। नौकरी के लिए तलाश शुरू की, तो उनको दिव्यांग कहकर नौकरी नहीं दी जाती। भेदभाव किया जाता, आखिर एक कंपनी ने पूनम को  एक्जिक्यूटिव काम करने का मौका मिला। हालांकि ये उनकी योग्यता के मुताबिक पद नहीं था। लेकिन उन्होंने इसे एक चुनौती की तरह लिया। 5 साल तक उस कंपनी में रहने और डिप्टी मैनेजर के पद तक पहुंचने के बाद उन्होंने कुछ नया करने का सोचा और उस कंपनी से त्याग पत्र दे दिया।

बनाया खुद का एनजीओ
पूनम ने नौकरी से इस्तीफा देने के बाद 2014 में खुद का एनजीओ उद्दीप सोशल वेलफेयर सोसायटी शुरू की। इसको शुरू करने का उनका मकसद था कि उनकी तरह अन्य दिव्यांगों को भेदभाव और परेशानियों का सामना न करना पड़े। उनके इस काम को समाज और सरकार की सहायता मिलती गई और आज उनका एनजीओ तीन अलग अलग क्षेत्रों में काम कर रहा है। पूनम दिव्यांगों के लिए ‘कैन डू’ नाम की मुहिम चला रही हैं। उन्होंने भोपाल के आसपास के दो गांवों में 15-15 महिलाओं के दो सेल्फ हेल्प ग्रुप तैयार किये हैं। जहां पर महिलाओं को पेपर बैग और दूसरी चीजें बनाना सिखाया जाता है जिससे उनकी आमदनी में बढ़ोतरी हो सके। इसके लिए पूनम की संस्था उद्दीप इन महिलाओं को कच्चा माल उपलब्ध कराती है। साथ ही वे उन महिलाओं को पढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं, जिनकी पढ़ाई अलग अलग वजहों से बीच में ही छूट जाती है।

राष्ट्रपति कर चुके हैं सम्मानित
पूनम के हौसले और काम को देखते हुए पूनम राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें देश की सौ सम्मानित महिलाओं की श्रेणी में पुरस्कार प्रदान किया था।