मुरादाबाद की प्रगति ने एक घटना में अपने दोनों हाथ खो दिए, लेकिन हिम्मत नहीं खोई। आज वो अन्य लड़कियों के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
नई दिल्ली। अक्सर लोग जरा सी परेशानी से हार मान लेते हैं और टूट जाते हैं। सोचने लगते हैं कि अब जिंदगी में कुछ बचा नही है। इससे उलट कुछ ऐसे लोग भी होते हैं, जो मुसीबतों से डरते नहीं, उनका डटकर सामना करते हैं। इन्हीं लोगों में से एक हैं मुरादाबाद की प्रगति। प्रगति के दोनों हाथ नहीं हैं, लेकिन उनके इरादे और हौसले दोनों बुलंद हैं।
करंट लगने के कारण खो दिए हाथ
प्रगति ने साल 2010में एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा दिए। बिजली के करंट से हुए हादसे में उनको इससे जूझना पड़ा। बुरी तरह घायल हाथों को काटना पड़ा। हाथ कट गए, तो परिवार को लगा कि प्रगति टूट जाएगी, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। घटना से उबरने में उन्हें समय तो लगा, लेकिन अपनी मेहनत और हिम्मत के कारण उन्होंने अपन जिंदगी को पटरी पर लाना शुरू किया। आज प्रगति बाकी लोगों की तरह अपने हाथों से लिख भी लेती हैं, कंप्यूटर चला लेती हैं, रोजमर्रा के छोटे-मोटे काम निपटा लेती हैं और उनका ये प्रयास दूसरों को प्रेरणा देता है।
छोटे बच्चों को देती हैं शिक्षा
प्रगति अपना खर्च खुद निकालती हैं, वो इसके लिए परिवार पर निर्भर नहीं हैं। वो छोटे बच्चों को ट्यूशन देती हैं। इससे होने वाली कमाई से वो अपने खर्चे पूरे करती हैं। प्रगति का सपना गर्वमेंट जॉब में जाना है और वो खुद बैंक के एंट्रेस एग्जाम की तैयारी कर रही हैं। आज प्रगति बहुत से लोगों के लिए मिसाल बन कर सामने आई है। प्रगति सिखाती हैं कि अगर आपके पास हिम्मत है तो आपके पास सब कुछ है और इसी हिम्मत से आप जीत हासिल कर सकते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.