दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स की छात्रा रही प्रतिष्ठा देवेश्वर दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया और व्हीलचेयर पर बैठकर ही ऑक्सफोर्ड में पढ़ने का अपना सफर पूरा किया।
नई दिल्ली। जिंदगी की परेशानियों को देखकर या तो हम सपने देखना छोड़ देते हैं या हिम्मत हारकर राह बदल लेते हैं। लेकिन कुछ जज्बाती लोग ऐसे भी होते हैं, जो हर कठिनाई को मुंहतोड़ जवाब देते हैं और अपनी मंजिल पाकर ही दम लेते हैं। ऐसे ही हिम्मतवाले लोगों में प्रतिष्ठा का भी नाम है। वह दिव्यांग हैं, लेकिन बचपन से ही पढ़ने में होशियार प्रतिष्ठा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के श्रीराम कॉलेज से पढ़ाई की और अपने जूनून के दम पर ही वो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी तक पढ़ने पहुंच गईं।
प्रतिष्ठा ने रचा इतिहास
वह हमेशा से ही चाहती थीं कि वो विश्व की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई करें। अपनी धुन की पक्की प्रतिष्ठा ने एंट्रेस दिया और वह भारत की पहली लड़की हैं,जो व्हीलचेयर पर बैठकर ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई कर रही हैं। वो यहां से पब्लिक पॉलिसी में मास्टर्स कर रही हैं।
मुसीबतों से लड़ीं और जीतीं
प्रतिष्ठा अच्छी खासी स्वस्थ लड़की थीं, लेकिन एक कार एक्सीडेंट ने उनके जीवन को बर्बाद कर दिया। रीढ़ की हड्डी में चोट आने के कारण उन्हें पैरालिसिस हो गया। तीन साल तक बिस्तर पर पड़े-पड़े अपनी किस्मत को कोसती रहीं, लेकिन इसी बीच उनके दिमाग में ये ख्याल आया कि शिक्षा ही कठिन जिंदगी से उबरने में मदद कर सकती है। यहीं से उनकी जिंदगी का नया मकसद शुरू हुआ और बिस्तर पर लेटे-लेटे आगे की योजना बन चुकी थीं। उन्होंने दसवीं मबोर्ड में 90% से ऊपर अंक प्राप्त किए। बारहवीं में भी अच्छे अंक आए। इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया, लेकिन एक घटना ने जिंदगी बदल दी थी। लेकिन पढ़ाई आगे जारी रखने के फैसले ने उनका जीवन बदल दिया।
विकलांगों के लिए शुरू करना चाहती हैं यूट्यूब चैनल
ऑक्सफोर्ड जाने की तैयारियों के बीच प्रतिष्ठा ने तय किया कि अगर उनका सलेक्शन होता है, तो वह एक यूट्यूब चैनल शुरू करेंगी और जिंदगी से निराश हताश हो चुके विकलांगों को एक ऐसी दुनिया का अनुभव कराएंगी जो उन्होंने नहीं देखा होगा। मूल रूप से होशियारपुर की रहने वाली रतिष्ठा आईसीयू में जिंदगी की लड़ाई लड़ने के बाद अपनी सफलता की कहानी गढ़ चुकी हैं। वो उन युवतियों के लिए एक मिशाल हैं, जो थोड़ी सी परेशानी से हार मान लेती हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.