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बिना मिट्टी के खेती करने वाली नीला

Published - Fri 03, Jul 2020

पुणे की नीला रेनाविकार पिछले दस सालों से अपने घर में ही साग-सब्जी उगाती हैं और वो भी बिना मिट्टी के रीना का कहना है कि स्वस्थ रहना है, तो जैविक कृषि को अपनाना ही होगा।

नई दिल्ली। आजकल के प्रदूषित माहौल में फल-सब्जियों को उगाने के लिए कई तरह के केमिकल का प्रयोग होता है, जिसको खाकर या तो हमें पौष्टिक तत्व नहीं मिलते और उल्टे हम बीमार और हो जाते हैं। पुणे की रीना के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। रोजाना आती खबरों को देखकर और खेत में किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले यूरिया और अन्य रासायनिक खादों के बढ़ते उपयोग को देखकर रीना ने ठाना कि वो अपने घर पर ही फल व सब्जियों को उगाएंगी। लेकिन ये होगा कैसे। इसी उलझन में नीला रेनाविकार ने इंटरनेट का सहारा लिया और घर पर ही शुरू कर दी खेती।

तैयार कि अपना किचन गॉर्डन

नीला रेनाविकार को शुरुआत में दिक्कतें आईं, लेकिन जैसे-जैसे वो मेहनत करती गईं, उनका किचन गॉर्डन उन्नत होने लगा और घर की छत, बालकनी में सब्जियां नजर आने लगीं। इसका सबसे बड़ा कारण था कि रीना को पर्यावरण से बेहद प्यार है और वो किचन गार्डन की मदद से खुद को पर्यावरण से जुड़ा महसूस करती हैं। रीना अपने गार्डन में रासायनिक खाद का प्रयोग बिल्कुल नहीं करतीं। वो किचन कसे निकलने वाले वेस्ट की कम्पोस्टिंग कर खाद तैयार करती हैं।

बिना मिट्टी के गार्डनिंग
नीला रसोई से निकले सब्जियों के अवशेष, सूखे पत्ते, गोबर आदि को कम्पोस्ट कर उससे खाद बनाती हैं और उसी खाद में सब्जियों को उगाती हैं। वो मिट्टी का प्रयोग नहीं करतीं। उनके अनुसार, बिना मिट्टी की ये खाद पत्तों के कारण ज़्यादा देर तक नमी को बनाये रखती है। इससे पौधे की हेल्थ बनी रहती है। नीला रेनाविकर पंचपोर एक कॉस्ट अकाउंटेंट हैं, मैराथन रनर हैं। उनके पास सिर्फ़ 450 स्क्वायर फुट का टेरेस गार्डन है, जहां वो सब्जियां और फल उगाती हैं।

खीरे ने बढ़ाया हौसला
नीला ने जब घर में ही खेती करने की ठानी तो सबसे पहले उन्होंने कम्पोस्ट तैयार किया और उसमें खीरे के बीज डाले और उनकी नियमित देखभाल करती रहीं। चालीस दिन के बाद खीरे की बेल में दो खीरे उगे, तो रीना का हौसला बढ़ा और इसके बाद उन्होंने मिर्च, टमाटर भी उगाए। इस खेती के बहाने नीला रीसाइक्लिंग भी कर लेती हैं। वो पुराने डब्बों, प्लास्टिक के बर्तनों में पौधे उगाती हैं। उनके इस गार्डन में ऐसे 100 डिब्बे हैं।