बंगलुरू की पूर्णिमा अग्रवाल ने हाल ही में कोरोना से अपने जवान बेटे को खोया है। इस हादसे के बाद पूर्णिमा ने मंयक मेमोरियल फंड बनाकर 24 घंटे में 25 लाख जुटाए और लोगों की मदद करने लगीं।
नई दिल्ली। कोरोना की दूसरी लहर में ऐसे मामले भी सामने आए हैं कि लोगों ने अपना सबकुछ खो दिया। परिवार बिखर गया। किसी को बेटा चला गया, तो किसी ने पिता को खोया। हादसों से लोग टूट गए, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने इनसे सबक लिया और समाज सेवा में जुट गए। ऐसी की महिला हैं पूर्णिमा अग्रवाल। परिवार के साथ बंगलुरू में रहती हैं। पिछली 6 अप्रैल को उनके बेटे मंयक को कोरोना संक्रमण हुआ। हालत बिगड़ती गई और 26 अप्रैल को वो दुनिया छोड़ गए। जवान बेटै की मौत ने पूर्णिमा को तोड़ दिया। लेकिन पूर्णिमा ने हिम्मत नहीं हारी और निर्णय लिया कि कुछ ऐसा करेंगी, जिससे किसी का परिवार बिखरने से बच जाए। पूर्णिमा ने बेटे के लोगों की मदद करने के जज्बे को जिंदा रखा और लोगों की मदद कर रही हैं
पूर्णिमा ने शुरू की एक मुहिम
बेटे मंयक की मौत के बाद उन्होंने एक फंड बनाया जिसका नाम बेटे के नाम पर मयंक अग्रवाल मैमोरियल फंड रखा। इसका मकसद कम आय वाले परिवारों को मेड़िकल ट्रीटमेंट की व्यवस्था करना था। पूर्णिमा ने दोस्तों, रिश्तेदारों, परिचितों को इससे अवगत कराया और 24 घंटे में 25 लाख रुपये जुटा दिए, वहीं उन्होंने कुल 33 साल एकत्र किए और पचास परिवारों की मदद भी की।
बेटे की अस्थियां विसर्जित करते समय लिया संकल्प
पूर्णिमा जब अपने बेटे की अस्थियां विसर्जित करने गई थीं, तो वहां उन्होंने कई गरीबों को रोते देखा। वहां मौजूद पंडित का उनसे कहना था कि किसी की मौत पर शोक नहीं जश्न मनाना चाहिए, जिससे दिवंगत आत्मा को शांति और मोक्ष मिले। पंडित की बातों को उन्होंने बेहद गंभीरता से लिया। उन्हें बेटे मयंक की पूरी जिंदगी याद आने लगी कि बेटा कैसे लोगों की मदद करता था। उन्होंने अपने बड़े बेटे वरुण से बात की और मयंक की दयालुता के भाव को जिंदा रखने क लिए ये मुहिम शुरू की।
एक परिवार को 2.5 लाख की मदद
कोरोना संकट के समय गरीब व असहाय लोग जो अस्पताल का बिल नहीं चुका पा रहे थे, ऐसे में उन्होंने तय कि उनका फाउंडेशन हर परिवार की2.5 लाख रुपये हर परिवार की मदद करेगा। फंड बना तो 24 घंटे में 25 लाख की मदद हो गई। उनके बेटे वरुण की कम्यूनिटी में साठ हजार लोग थे, ज्यादातर मदद उनसे मिली। उनकी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक मदद पहुंचे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.