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लंदन से बिहार लौटीं पुष्पम ने सीएम पद पर ठाेकी ताल, 10 साल में बिहार को बदलने का दावा

Published - Mon 02, Nov 2020

बिहार के विधानसभा चुनावों में सालों से मुख्य मुकाबला भाजपा, कांग्रेस, जेडीयू, लोजपा, आरजेडी के बीच ही होता आया है। यहां हर बार की तरह इस बार भी विकास और बदलाव के दावे-वादे ही मुख्य चुनावी एजेंडा हैं। लेकिन इस बार मुकाबला पहले से ज्यादा दिलचस्प हो गया है। इसका कारण है चुनाव की तारीखों के एलान से ठीक पहले एक नई पार्टी का गठन। पार्टी की मुखिया लंदन से लौटीं युवा पुष्पम प्रिया चौधरी हैं। बिहार को 10 सालों में बदलने का दावा करने वालीं पुष्पम हर मसले पर बड़ी बेबाकी से अपनी राय रखती हैं। खुद को बिहार के भावी मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताकर सभी को चौंकाने वालीं पुष्पम बिहार में दोबारा शराब बिक्री शुरू कराने की वकालत भी करती हैं। आइए जानते हैं लंदन से मास्टर्स डिग्री लेने के बाद सीधे बिहार के सियासी रण में ताल ठोकने वालीं पुष्पम प्रिया चौधरी के बारे में....

नई दिल्ली। पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार के दरभंगा जिले की रहने वाली हैं। पुष्पम को सियासत विरासत में मिली है। वह जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और एमएलसी रह चुके विनोद चौधरी की बेटी हैं। पुष्पम के दादा उमाकांत चौधरी भी नेता थे। पुष्पम ने लंदन के मशहूर लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री ली है। उन्होंने इंग्लैंड के द इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज यूनिवर्सिटी से डेवलपमेंट स्टडीज में भी मास्टर्स की डिग्री ली है। मार्च 2020 में अचानक एक दिन बिहार के सभी प्रमुख अखबारों में फुल पेज का विज्ञापन छपा। इसमें पुष्पम प्रिया चौधरी की फोटो के साथ उनकी पार्टी प्लूरल्स का नाम लिखा था। साथ ही पुष्पम प्रिया को बिहार का भावी मुख्यमंत्री पद का दावेदार बताया गया था। विज्ञापन में पुष्पम ने बिहार को वर्ल्ड क्लास अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट देने की बात कही। 10 साल में बिहार को बदलने का दावा किया। यह भी कहा कि बिहार को यहां मौजूद सभी राजनेताओं से छुटकारा चाहिए। इस विज्ञापन के बाद वह अचानक चर्चा में आ गईं। पुष्पम बांकीपुर विधानसभा सीट से भाग्य आजमा रहीं हैं। अन्य कई सीटों पर भी उनकी पार्टी के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

बिहार की बदहाली का कारण यहां के नेताओं को मानती हैं पुष्पम

पुष्पम बिहार की बदहाली के लिए यहां की राजनीति को जिम्मेदार मानती हैं। वह कहती हैं, यहां कोई भी काम नहीं हुआ है, हर तरफ दिक्कतें हैं। संस्थागत ढांचा बहुत कमजोर है। मैं विदेश में रही हूं, वहां का लोकतंत्र देखा है, ऐसे नहीं चलता, जैसे यहां। यहां लोगों का महत्व नहीं है। सरकारी तंत्र ऐसे पेश आता है, जैसे वह हमारे लिए नहीं, हम उनके लिए काम करते हैं। यह तभी सुधरेगा जब सत्ता में बैठे मठाधीश हटेंगे। लंदन से पढ़कर सीधे बिहार को बदलने के लिए मैदान में उतरीं पुष्पम अपनी प्लूरल्स पार्टी को बिहार का भविष्य मानती हैं। वह अपने साथ युवाओं और पढ़े-लिख वर्ग को जोड़ रही हैं। उनकी पार्टी से ऐसे ज्यादा जुड़ रहे हैं जिनका कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है। पुष्पम प्रिया के परिवार का जदयू से जुड़ाव रहा है, लेकिन अलग पार्टी बनाकर राजनीति में कूदने पर कहती हैं, हमें यहां राजनीति के लिए नहीं आना था। अगर राजनीति ही करनी होती तो चार-पांच साल में ब्रिटिश सिटिजनशिप लेने के बाद वहीं राजनीति करती। मुझे बिहार को बदलना है। वह कहती हैं कि परिवारवाद-भ्रष्ट सिस्टम के खिलाफ लड़ रही हूं, कोई पार्टी कैसे ज्वाइन कर लूं।

लंदन की तर्ज पर बिहार को बदलने का भरोसा

पुष्पम प्रिया चुनाव प्रचार के दौरान लंदन की तर्ज पर बिहार को बदलने की बातें करती हैं। वह पटना को वर्ल्ड क्लास अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट देने का भरोसा भी दिलाती हैं। पुष्पम वर्ल्ड क्लास एजुकेशन, रिसर्च, इंटरनेशनल फेलोशिप, फॉरेन स्टडी स्कॉलरशिप मेधावियों को देने की वकालत भी करती हैं। पुष्पम प्रिया बिहार में लागू शराबबंदी को भी दकियानूसी मानती हैं। वह सत्ता में आने पर शराबबंदी खत्म करने की बात कहती हैं।  

यह है प्लूरल्स पार्टी का एजेंडा

पुष्पम और उनकी प्लूरल्स पार्टी बिहार को विकसित राज्य बनाने के एजेंडे पर काम करने का दावा करती है। पार्टी के मुताबिक बिहार को पाटलिपुत्र, अंग, मगध, चंपारण, मिथिला, कौशिकी, कैमूर और वैशाली में बांटकर विकास होगा। राज्य के सभी 38 जिलों को 8 भूमि एक्सप्रेस-वे और आठ-लेन गुड्स ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर से जोड़ने का प्लान भी है। राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने पर भी जोर है।  पार्टी बिहार की नदियों को आपस में जोड़ने की बात भी करती है।  

सोशल मीडिया पर रहती हैं काफी सक्रिय

पुष्पम ने बिहार में 3 नवंबर को होने वाले दूसरे चरण के चुनाव से एक दिन पहले सोशल मीडिया पर ट्वीट कर युवाओं से वोट करने की अपील की। वह सोशल मीडिया को चुनाव प्रचार में प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। पुष्पम ने ट्वीट में लिखा ‘पटना के नौजवान, किंग चंद्रगुप्त और अशोक के बांकीपुर को इंडिया का सबसे हॉट पोस्टकोड कौन बना सकता है? मैं नहीं आपका वोट। इस बार जमकर वोट कीजिए। बांकीपुर और पटना को हॉट बनाने के लिए।’ पुष्पम ने ट्वीट में जानबूझकर पोस्टकोड शब्द का इस्तेमाल किया। दरअसल, विदेशों में पिनकोड की जगह पोस्टकोड प्रचलित है। पुष्पम ने पोस्ट से ज्यादा से ज्यादा वोट की अपील के साथ बांकीपुर और पटना को लंदन की तर्ज पर विकसित करने का दावा भी किया हैं।

इंदिरा गांधी के संबोधन को दोहराया

वोटरों के रिझाने के लिए पुष्पम हर हथकंथे का इस्तेमाल कर रही हैं। इसी कड़ी में 30 अक्तूबर को उन्होंने एक सभा के दौरान इंदिरा गांधी के भुवनेश्वर के परेड ग्राउंड में 30 अक्टूबर 1984 को दिए बयान को दोहराया। इसमें उन्होंने देश की जगह बिहार शब्द का इस्तेमाल किया। इंदिरा गांधी ने उस चुनावी सभा में कहा था कि 'मैं आज यहां हूं, कल शायद न रहूं, मुझे चिंता नहीं मैं रहूं या न रहूं, देश की चिंता करना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। मैं अपनी आखिरी सांस तक ऐसा करती रहूंगी और जब मैं मरूंगी तो मेरे खून का एक-एक कतरा भारत को मजबूत करेगा।' इस बयान के बाद पुष्पम ने एक ट्वीट कर लिखा, लाखों सेल्फी ली हैं आपने पर पूरे बिहार में, गांवों-शहरों सब जगह युवा, वृद्धजन सबकी एक ही भावुक रट है- दीदी छोड़ कर मत जाइएगा, मैडम आप जरूर बदल दीजिएगा, बेटी बस डटे रहना है...!

चीजों को अलग ढंग से देखने वाला ही युवा

बिहार की राजनीति में तीन युवा चेहरों तेजस्वी यादव, चिराग पासवान और पुष्पम प्रिया के मैदान में होने पर वह बड़ी बेबाकी से कहती हैं, कोई युवा नहीं है यहां पर। युवा वह होता है जो चीजों को अलग तरीके से देखे, जो क्रांतिकारी हो। बस कुर्ता-पायजामा पहन के पिताजी की राजनीति करना, यह युवा नहीं होता।