सिंधू ने हार नहीं मानी और आखिरकार बैडमिंटन के 42 साल के इतिहास में पहली बार भारत के लिए यह चैंपियनशिप अपने नाम कर देश का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। दुनिया की पांचवीं नंबर की खिलाड़ी पीवी सिंधू ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में जापान की नाओमी ओकुहारा को मात्र 38 मिनट में 21-7,21-7 से मात देकर अपने ताज में एक और नगीना जड़ा।
बासेल (स्विट्लजरलैंड)। 'लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।' भारतीय शटलर पीवी सिंधू पर ये लाइनें एकटम सटीक बैठती हैं। 24 साल की सिंधू बैडमिंटन के विश्व चैंपियनशिप में लगातार दो बार पहुंचने के बाद भी पदक से सिर्फ एक कदम पीछे रह गई थीं। उन्हें उपविजेता बनकर ही संतोष करना पड़ा था, लेकिन सिंधू ने हार नहीं मानी और आखिरकार बैडमिंटन के 42 साल के इतिहास में पहली बार भारत के लिए यह चैंपियनशिप अपने नाम कर देश का सर गर्व से ऊंचा कर दिया। दुनिया की पांचवीं नंबर की खिलाड़ी पीवी सिंधू ने विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में जापान की नाओमी ओकुहारा को मात्र 38 मिनट में 21-7,21-7 से मात देकर अपने ताज में एक और नगीना जड़ा। सिंधू ने दुनिया की चौथे नंबर की खिलाड़ी ओकुहारा को कोई मौका नहीं दिया और एकतरफा जीत दर्ज कर भारतीय बैडमिंटन में एक और सुनहरा अध्याय लिख डाला। रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू का यह इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में पांचवां पदक है। उन्होंने छह बार इस टूर्नामेंट में भाग लिया और पांच बार पदक जीता।
आठ माह बाद जीता खिताब
हैदराबादी खिलाड़ी सिंधू ने आठ माह बाद कोई खिताब जीता। खास बात यह है सिंधू ने इससे पहले दिसंबर में भी ओकुहारा को मात देकर ही बीडब्ल्यूएफ वर्ल्ड टूर फाइनल्स की ट्रॉफी जीती थी। यह खिताब भी उन्होंने पहली बार ही जीता था। इसके बाद सिंधू ने करीब आठ टूर्नामेंट में भाग लिया इसमें से सिर्फ एक इंडोनेशिया ओपन के ही फाइनल में पहुंचीं।
16 मुकाबलों में ओकुहारा पर नौवीं जीत
सिंधू की यह ओकुहारा पर लगतार दूसरी जबकि कुल 16 मुकाबलों में नौवीं जीत है। इस जीत के साथ सिंधू ने 2017 विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में ओकुहारा से मिली हार का हिसाब भी चुकता कर लिया।
पहली बार भारतीय शटलर दो वर्गों में पदक के साथ लौटेंगे
विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में यह सिर्फ दूसरा मौका होगा, जब भारतीय शटलर दो पदक के साथ स्वेदश लौटेंगे। इससे पहले 2017 में साइना ने कांसा और सिंधू ने रजत पदक जीता था। इस साल सिंधू के स्वर्ण के अलावा बीसीई प्रणीत ने कांस्य पदक जीता है। यह पहला मौका होगा जब भारतीय महिला और पुरुष शटलरों ने एक-साथ पदक जीता।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.