पी वी सिंधू ने लगातार तीसरी बार ईएसपीएन की ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी’ का पुरस्कार जीता है। पी वी सिंधू सफलता की एक मिसाल हैं लेकिन उन्हें यह सफलता रातों रात नहीं मिल गई। इसके लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है।
नई दिल्ली। बैडमिंटन खिलाड़ी पी वी सिंधू ने अपने खेल से बैडमिंटन के क्षेत्र में देश को एक नई पहचान दिलाई है। सिंधू विश्व चैंपियन में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारत की एकमात्र खिलाड़ी हैं। वह अपने खेल के स्तर में लगातार सुधार कर रही हैं। इसी का नतीजा है कि पी वी सिंधू ने लगातार तीसरी बार ईएसपीएन की ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी’ का पुरस्कार जीता है। पी वी सिंधू सफलता की एक मिसाल हैं लेकिन उन्हें यह सफलता रातों रात नहीं मिल गई। इसके लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है। उनके अलावा फर्राटा धाविका दुती चंद को ‘करेज’ पुरस्कार दिया जाएगा। उन्होंने लिंग संबंधी नियमों को लेकर आईएएएएफ से लड़ाई जीती और ट्रैक पर लौटीं। साथ ही समलैंगिक रिश्ते में होने की बात भी स्वीकार की थी। शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को ‘वर्ष की सर्वश्रेष्ठ वापसी’ का पुरस्कार मिला जिन्होंने मास्को में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीती। वह 2016 से 2018 के बीच मातृत्व अवकाश के कारण ब्रेक पर थीं।
8 साल की उम्र में शुरू कर दिया था खेलना
सिंधू ने आठ साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। पी वी सिंधू के माता-पिता भी खेल के क्षेत्र से जुड़े हैं। वह वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। उनके पिता को वॉलीबॉल के लिए अर्जुन पुरस्कार भी मिल चुका है। जब उनके पिता रेलवे ग्राउंड पर वॉलीबॉल खेलने जाते थे तो साथ में सिंधू भी जाया करती थीं। वहीं बगल में ही बैडमिंटन कोर्ट था। जहां पर सिंधू बैटमिंटन खेला करती थीं और वहीं से उनका मन बैटमिंटन में लगने लगा। 10 साल की उम्र में वह गोपीचंद अकैडमी में आ गई और वहीं पर बैडमिंटन की बारीकियां सीखीं। आज भी वह वहीं पर सीख रही हैं।
ओलंपिक में जीता सिल्वर मेडल
सिंधू ने रियो ओलंपिक 2016 में सिल्वर मेडल जीता था। जो उनके करियर की खास उपलब्धि है। 2016 ओलंपिक से पहले वह चोटिल गई थीं, जिसके चलते उन्हें छह महीने तक कोर्ट से दूर रहना पड़ा। लेकिन जब वह ओलंपिक में कोर्ट पर उतरीं तो उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। वह एक-एक करके सभी मैच जीतती चली गईं। लेकिन फाइनल में स्पेनिश खिलाड़ी कैरोलिना मारिन से हार गई और सल्विर मेडल अपने नाम किया। लेकिन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतना भी कोई मामूली बात नहीं है। सिल्वर जीतने के बाद सिंधू जब भारत लौटीं तो गली-गली में लोग उनका स्वागत करने के लिए खड़े थे।
वर्ल्ड चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक
पी वी सिंधू ओलंपिक में स्वर्ण पदक भले ही न जीत पाई हो लेकिन विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने जीतने वाली वह भारत की एकमात्र खिलाड़ी है। विश्व चैंपियन का स्वर्ण पदक जीतने से पहले उन्होंने अपने कोच गोपीचंद के साथ कड़ी मेहनत की। वह महीनों मोबाइल फोन से दूर रही। यहां तक कि उन पर आइसक्रीम खाने तक की पाबंदी थी। कई आलोचक उनके फाइनल हारने की आलोचना करते थे। जिसका जवाब उन्होंने विश्व चैंपियन का स्वर्ण पदक जीतकर दे दिया।
टोक्यो ओलंपिक पर नजर
टोक्यो ओलंपिक 2020 सर है और जुलाई-अगस्त में खेला जाना है। ऐसे में पी वी सिंधू का पूरा ध्यान टोक्यो ओलंपिक पर लगा है। एक बार फिर से वह ओलंपिक में पदक जीतकर अपना और देश का नाम रोशन करना चाहेगी। साथ ही इस बार स्वर्ण पदक पर कब्जा करके भारत की पहली महिला ओलंपिक स्वर्ण विजेता का तमगा हासिल करने का भी मौका है।
म्यूजिक और फैशन का है शौक
सिंधू को फैशन का बहुत शौक है। उन्हें अच्छे कपड़े पहना और सजना संवरना बेहद पसंद है। इसके अलावा उन्हें म्यूजिक सुनना भी अच्छा लगता है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.