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पोते की बीमारी के बाद राहीबाई ने शुरू की जैविक खेती

Published - Thu 22, Oct 2020

राहीबाई के गांव के लोग संकर यानी हाइब्रिड अनाज और सब्जियों के सेवन से बीमार पड़ रहे थे। पोते के बीमार पड़ने पर उन्होंने देसी बीज आधारित खेती शुरू की।

Rahibai Soma Popere

राहीबाई सोमा पोपेरे महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले की रहने वाली हैं। वह कभी स्कूली नहीं गई हैं लेकिन उनके पास खेती के ज्ञान का भंडार है। इतना कि वह छत्रों को भी बीज चयन का प्रशिक्षण देती हैं। राहीबाई जैविक खेती करती हैं और इसी के बीजों का एक बैंक तैयार किया है। हालांकि खेती करना उनका पुस्तैनी काम है लेकिन राहीबाई ने इसे नए मुकाम पर पहुंचाया है। उनके ससुराल में सिर्फ बारिश के महीनों में खेती की जाती थी, बाकी समय परिवार के पुरुष चीनी मिलों में मजदूरी करते थे। यह कह सकते हैं कि उनकी जिंदगी किसी तरह बस चल रही थी। करीब बीस साल पहले की बात है। संकर (हाइब्रिड) फसलों के सेवन से गांव के लोग अक्सर बीमार पड़ रहे थे। एक बार फूड पॉयजनिंग के चलते उनका पोता बुरी तरह बीमार पड़ गया। तभी उन्होंने सोचा कि खुद से खेती की जानी चाहिए। राहीबाई ने जैविक खेती करने का फैसला किया, ताकि बाजार की सब्जियों पर निर्भरता खत्म होने के साथ जैविक सब्जियां सहज उपलब्ध हों। उनके घर में कुछ देसी बीज उपलब्ध थे। उन्होंने करीब तीन एकड़ जमीन पर देसी बीजों के साथ खेती की शुरुआत की। धीरे-धीरे अन्य किसान मेरे साथ जुड़ने लगे। इसके बाद राहीबाई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, अपने कदम आगे बढ़ाती गई। उन्होंने खेती के साथ-साथ बीज बैंक स्थापित किया। उनकी देखा-देखी अन्य महिलाएं भी बीजों का संरक्षण करने लगीं। देसी बीजों के संरक्षण के लिए उन्होंने कलसुबाई परिसर बियानी संवर्धन समिति नाम से एक स्वयं सहायता समूह का गठन किया। साथ ही, आय बढ़ाने के लिए मुर्गी पालन सीखा और नर्सरी की स्थापना की। उनके काम के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित कर चुकी है। 

दूसरों को प्रशिक्षण

राहीबाई ने करीब 50 एकड़ भूमि को संरक्षित किया है, जिसमें 17 से अधिक फसलें उगाई जा रही हैं। इलाके के करीब 3,500 किसानों के साथ मिलकर वह बीज बैंक पर काम कर रही रही हैं और उन किसानों को तकनीक से फसलों की पैदावार बढ़ाने के गुर भी सिखा रही हैं। 

जल संचयन

पहले खेती बारिश पर आधारित थी, लेकिन अब पूरे साल खेती करने के लिए उन्होंने खेत-तालाब और पारंपरिक जलकुंड जैसी जल संचयन संरचनाएं बनाईं और बंजर पड़ी करीब दो एकड़ भूमि को उत्पादक बनाकर वहां सब्जियों की खेती करने लगी। 

पैदावार में बढ़त

वह बताती है कि 'अब फसलों की पैदावार बढ़ गई है। मैं किसानों और छात्रों को बीज चयन का प्रशिक्षण देती हूं। बीज बैंक 32 फसलों के लिए 122 किस्में वितरित करता है। किसानों को बीज इस शर्त के साथ दिया जाता है कि वे उधार लिए गए बीज दोगुनी मात्रा में लौटाएंगे।