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महिलाओं को आत्मनिर्भर बनातीं रहीसा बेगम

Published - Sun 04, Apr 2021

ग्वालियर की रहीसा बेगम ने अपने बनाए एक स्वयं सहायता समूह के अलावा गांव में तीस अन्य स्वयं सहायता समूहों का गठन किया, जिससे जुड़कर सैकड़ों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं।

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नई दिल्ली। ग्वालियर के डबरा कस्बे के कल्याणी गांव में रहने वाली रहीसा बेगम की कहानी किसी को भी अपना मुरीद बना दे। कभी रोजी-रोटी के लिए दर-दर की ठोकर खाती रहीसा बेगम घरों में चौका-बर्तन किया करती थीं, लेकिन कोरोना संकट के बीच उन्होंने मास्क बनाना शुरू किया। वह राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने अली स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष बनीं और 13 सदस्यों और गांव की 70 महिलाओं के साथ एक संकुल बनाया और मास्क तैयार किए। उन्होंने 80 हजार मास्क तैयार कराकर प्रशासन को उपलब्ध कराए, जिससे रहीसा को 25 हजार और अन्य महिलाओं को दस हजार का फायदा हुए।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाए कदम
रहीसा और उनके स्वयं सहायता समूह की मेहनत और लगन देखकर जिला प्रशासन ने उन्हें स्कूल बच्चों की यूनिफार्म तैयार करने का काम सौंपा। इस काम को पूरा करने के लिए रहीसा ने अपने समूह के अलावा गांव में तीस अन्य स्वंय सहायता समूह गठित किए और 350 महिलाओं को साथ जोड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया। उनके एक प्रयास से आज क्षेत्र की तीन सौ से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर हैं।
रहीसा ने समय से लड़ाई लड़ी है
आज गांव की रोल मॉडल बन चुकी रहीसा के बीते दिन बड़ी गरीबी में गुजरे। उनके पति साइकिल पर गांव-गांव सब्जी बेचने जाते थे। घर में दो वक्त के खाने के भी लाले थे। दो बेटे और एक बेटी की परवरिश की चिंता रहीसा को खाए जा रही थीं। रहीसा बेगम ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत बने अली स्व-सहायता समूह से जुड़कर आगे बढ़ना शुरू किया और अन्य महिलाओं को भी इससे जोड़ा। धीरे-धीरे छोटे-मोटे काम करने शुरू किए जिससे आमदनी भी बढ़ने लगी। आगे बढ़ने के लिए उन्हें बैंक से तीन बार में लगभग सवा दो लाख और ग्राम संगठन से दो बार में लगभग एक लाख तीस हजार रूपए की आर्थिक मदद मिली। आमदनी बढ़ी तो रहीसा के दिन सुधर गए। उन्होंने अपने पति को गांव में एक सब्जी की दुकान खुलवा दी। बेटों को टैंट का काम खुलवा दिया। पूरा परिवार कमाने लगा तो दिन सुधर गए। रहीसा ने मुद्रा योजना की मदद से गांव में ही कॉस्मेटिक की दुकान खोली रहीसा ने धूमधाम के साथ अपनी बेटी की शादी भी कर दी है। रहीसा खुद आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ गांव की महिलाओं को भी आगे बढ़ाने का काम कर रही हैं।