आगरा की भगवती देवी आगरा में 'रोटी अम्मा' के नाम से जानी जाती हैं। आगरा के सेंट जोन्स कॉलेज के बार ढाबा चलाती भगवती देवी की उम्र अस्सी साल है। बेटों द्वारा घर से बाहर निकालने के बाद भी अम्मा ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को आत्मनिर्भर बना लिया।
आगरा। इंटरनेट पर बाबा का ढाबा, छंगा बाबा की कहानी तो आपने देखी सुनी होंगी, लेकिन आगरा की 'रोटी अम्मा' की कहानी इन सबसे जुदा है। आगरा के सेंट जोन्स कॉलेज के बाहर फुटपॉथ पर छोटा सा ढाबा चलाने वाली भगवती देवी को यहां 'रोटी अम्मा' के नाम से जाना जाता है। दो जवान बेटों के होने के बावजूद भी भगवती देवी सड़कों पर यूं जीवन जीने को मजबूर हैं। लेकिन परिस्थितियों से हार न मानने वाली भगवती देवी पिछले पंद्रह सालों से ये काम कर रही हैं, लेकिन जीवन से हार नहीं मानीं। भगवती देवी कहती हैं कि जब तक जिंदा हैं, लोगों का पेट भरती रहेंगी।
बीस रुपये में देती हैं भरपेट खाना
'रोटी अम्मा' के ढाबे पर 20 रुपए में दाल, सब्ज़ी, चावल और रोटी मिलती है। उनके ज्यादातर ग्राहक मजदूर तबके के ही लोग हैं। कोरोना संकट के बीच उनकी दुकान पर दिखाई देने वाली भीड़ गायब हो चुकी है, लेकिन भगवती देवी ने हिम्मत नहीं हारी है। वह कहती हैं कि बुरा समय कभी नहीं रहता। आज ग्राहक कम हैं, कल फिर बढ़ जाएंगे।
बाबा का ढाबा की तरह इंटरनेट पर हुईं वायरल
दिल्ली के बाबा के ढाबा के वायरल होने के बाद पिछले दिनों रोटी अम्मा की खबर भी वायरल हुई, लेकिन अब तक उनको वैसी मदद नहीं मिली है, जैसे बाबा का ढाबा चलाने वालों को मिली थीं। हां लेकिन उनकी व्यथा मीडिया में आने के बाद मदद के हाथ उनके लिए भी बढ़ने लगे हैं। उन्हें प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत 10 हजार रुपये दिए गए। डूडा के कर्मचारी रोटी वाली अम्मा के पास लैपटॉप और अन्य कागजात लेकर पहुंचे। हाथों-हाथ रजिस्ट्रेशन कराने के बाद रोटी वाली अम्मा के बैंक खाते में महज 6 घंटे के अंदर 10 हजार रुपये भेज दिए गए। सरकारी सहायता मिलने के बाद रोटी वाली अम्मा गदगद है। उन्होंने फुटपाथ पर ही रजिस्ट्रेशन और पैसे देने वाले कर्मचारियों को दुआ दी, वो कहती हैं कि जब तक हाथ पैर चलेंगे वे काम करती रहेंगीं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.