अरुणाचल प्रदेश के आईएएस दानिश अशरफ की पत्नी रुही दानिश अरुणाचल में बच्चों को पढ़ाकर शिक्षा की अलग जगा रही हैं।
नई दिल्ली। अरुणाचल प्रदेश से सौ किलोमीटर दूर एक दुर्गम पहाड़ी इलाका है सुबनसिरी। ये जिला बेहद दुर्गम हैं, जहां चारों ओर बर्फ ही बर्फ दिखाई देती है। इस इलाके में सुविधाएं तो नाममात्र की हैं। यहां बेहद मुश्किल है। आईएएस दानिश अशरफ की यहां तैनाती होने पर जब वह पत्नी रुही समेत यहां पहुंचे, तो एक दिन रुही इलाके में घूमने निकलीं। यहां उन्होंने पाया कि यहां स्कूल तो हैं, लेकिन वहां शिक्षकों की तैनाती बेहद कम है। पर्याप्त शिक्षक न होने के कारण बच्चों को न तो सही शिक्षा मिल पाती न ही स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति ही बढ़ रही है। इंजीनियरिंग पास रुही ने सोचा कि क्यों न वह यहां की शिक्षा व्यवस्था के लिए कुछ करें। उन्होंने ये बात अपनी पति दानिश से शेयर की और इच्छा जताई कि वो इलाके के बच्चों को पढ़ाना चाहती हैं। पति ने भी उनकी हौसला अफजाई की। यहां के सरकारी स्कूल में उन्होंने कक्षा बारह के बच्चों को फिजिक्स पढ़ाने का निर्णय लिया। अरुणाचल के जिला मुख्यालय दपोरिजो में उन्होंने पढ़ाना शुरू किया।
बिना वेतन के शुरू किया काम
रुही ने बच्चों को शिक्षित करने के लिए निशुल्क पढ़ाना शुरू किया। वह छात्रों को फिजिक्स पढ़ानी और छात्रों द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी प्रश्न का शालीनता से निराकरण करतीं। उनकी मेहनत का असर ये हुआ कि मार्च 2019 में फिजिक्स में 80 फीसदी छात्र पास हो गए। वहीं पहले इसी स्कूल में पास होने वाले छात्रों का आंकड़ा महज बीस प्रतिशत था। यहां के उपरी सुबनसिरी जिले में साक्षरता दर 64 फीसदी नीचे है। जिसका बड़ा कारण योग्य शिक्षकों का आभाव व संसाधनों का आभाव है। इसी परेशानी को देखते हुए रुही ने ये काम अपने हाथ में लिया था।
डर पर की जीत हासिल
रुही ने इससे पहले कभी बच्चों को पढ़ाया नहीं था, उन्हें डर था कि वह ठीक से पढ़ा पाएंगी या नहीं। लेकिन उन्होंने अपने डर पर जीत हासिल की और बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। स्कूल में फिजिक्स टीचर के न होने के कारण बच्चे पढ़ाई में बेहद कमजोर थे, लेकिन रुही के कठिन परिश्रम के कारण बच्चे अच्छा करने लगे। रुही क्लॉस के अलावा बच्चों को एक्सट्र क्लॉस भी देने लगीं और स्कूल का रिजल्ट सुधर गया।
किया कुछ अलग
रुही बच्चों को अलग मेथड से पढ़ाना चाहती थीं, इसके लिए उन्होंने कुछ ऐसा किया कि बच्चे मजेदार तरीके से पढ़ने लगे। चूंकि पहाड़ी क्षेत्रो में इंटरनेटकी समस्या होती है, तो रुही जब भी दिल्ली आतीं, वो यहां वीडियो डाउनलोड करने में लगी रहतीं और वापिस लौटने पर सुपरहीरों की फिल्में दिखाकरबच्चों को सब्जेक्ट के बारे में समझातीं। इसके लिए उन्होंने स्कूल में प्रोजेक्टर भी लगवाया। इससे बच्चे आनंद के साथ पढ़ने लिखने लगे।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.