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हिमालय के बुग्यालों की मदर टेरेसा रूपा देवी

Published - Fri 03, Jul 2020

उत्तराखंड की रूपा देवी 65 साल की हो चुकी हैं, लेकिन इस उम्र में भी उनमें गजब का उत्साह है। रूपा ने अपनी गांव की लोक संस्कृति और हिमालय के बुग्यालों को बचाने में पूरा जीवन लगा दिया।

rupa devi

देहरादून। हिमालय के बुग्याल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर भी हैं और पहचान भी। लेकिन अनदेखी के कारण बुग्यालों पर खतरा मंडरा रहा है। इन बुग्यालों को बचाने के लिए उत्तराखंड की एक बुजुर्ग महिला रूपा देवी अहम भूमिका निभा रही हैं। रूपा ने पहाड़ों की बेशकीमती धरोहरों को सहेजने के लिए अभियान छेड़ा हुआ है। देवाल ब्लाक के कुलिंग गांव की रहने वाली रूपा देवी बीते 15 सालों से हिमालय के बुग्यालों को बचाने की मुहिम में जुड़ी हुई है। इस उम्र में वो बिना किसी लालच के बुग्यालों की सेवा कर रही हैं। रूपा देवी इस उम्र में भी वार्षिक यात्रा नंदा देवी राजजात की यात्रा पर जाती हैं और बुग्याल बचाओ अभियान चलाती हैं। नंदा देवी की यात्रा के दौरान बुग्यालों को सैलानियों और खच्चरों से जो नुकसान होता है, उसको सही करने का काम रूपा देवी करती हैं और उनके साथ इस काम में सैकड़ों महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं। रूपा देवी का मानना है कि बुग्यालों की खूबसुरती बरकरार रहेगी तो हिमालय में मौजूद झील ,ताल, कुंड जो सूखते जा रहे हैं, उनकी भी रक्षा हो जाएगी।

बुग्यालों की हरियाली ही है उनका मकसद
रूपा का मानना है कि इंसानी दखल के कारण बुग्याल खत्म होते जा रहे हैं। बुग्याल कम होने से बर्फ कम पड़ रही है और हिमालय के पर्यावरण को नुकसान हो रहा है।जबकि बुग्याल ही हैं, जिनकी वजह से लोग उनकी ओर खिंचे चले आते हैं। रूपा पर्यावरण में इंसानी दखल के बिल्कुल खिलाफ हैं। उनका मानना है कि इंसानी दखल के कारण ही साफ हवा और पानी की कमी होती जा रही है। रूपा आम इंसानों से लेकर यहां आने वाले सैलानियों तक से अपील करती हैं कि बुग्यालों की रक्षा करें और उनका संरक्षण करें।