कश्मीर की साइमा उबैद ने 255 किलोग्राम वजन उठाकर कश्मीर की पहली महिला पॉवर लिफ्टर बनने का तमगा अपने नाम किया है। साइमा, कश्मीर की युवतियों के लिए उम्मीद की एक किरण हैं।
नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में लड़कियों को आज से पहले उतनी आजादी नहीं थी, जितनी उनको जरुरत है। हमेशा उनको घर की चारदिवारियों में बंद कर रखा जाता था, वहीं उनकी शिक्षा और शौक की ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता। लेकिन समय के साथ कश्मीर की सोच और शिक्षा में परिवर्तन आया और आज कश्मीर की बेटियां अच्छा कर रही हैं। इन्हीं में से एक नाम है कश्मीर की साइमा उबैद का। साइमा कश्मीर की पहली महिला पॉवर लिफ्टर हैं। हाल ही हमें उन्होंने इस खेल में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है।
पति उबैज ने दी ट्रेनिंग
साइमा का शुरू से ही खेलों के प्रति रूझान था और वो खेलों में कुछ अलग हटकर करना चाहती थीं। लेकिन तमाम बंदिशों के चलते वो अपने सपने को मन में ही समेटे रहीं। इसी बीच उनकी शादी हो गई। शादी के बाद एक बच्चा भी हुआ, लेकिन सपना मन के भीतर पलता रहा। साइमा ने अपने मन की बात अपने पति उबैज से शेयर की। पति ने उनका सपोर्ट करना जारी रखा और उनको ट्रेनिंग देना शुरू किया। पति भी चाहते थे कि वो दूसरी महिलाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत बनें और कुछ करके दिखाएं। हाल ही में साइमा ने कश्मीर पावर लिफ्टिंग बेंचप्रैस और डेडलिफ्ट चैंपियनशिप प्रतियोगिता में 255 किलोग्राम वजन उठाकर गोल्ड मेडल जीता है। साइमा के पति का कहना है कि उन्होंने उनके अंदर वेट्स उठाने का प्राकृतिक स्ट्रेंथ देखा। उसके बाद उन्होंने उनको पॉवरलिफ्टिंग का आइडिया दिया और ट्रेनिंग दी ओर आज वो अच्छा कर रही हैं। साइमा श्रीनगर में फिटनेस ट्रेनर है और उन्होंने सभी पतियों को ये संदेश दिया कि उन्हें अपनी पत्नी का 'बेस्ट फ्रेंड' बनने की कोशिश करनी चाहिए।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.