सना जब नौकरी करने के लिए चंडीगढ़ से मुंबई आईं, तो सड़कों पर घूम रहे भूखे बच्चों को देखकर उन्होंने उन तक भोजन पहुंचाने का विचार किया। इसके बाद उन्होंने फीडम आंदोलन शुरू किया। जिसके जरिए वह बेघरों और गरीबों तक राशन पहुंचा रही हैं।
नई दिल्ली। सना अरोड़ा के अनुसार मैं महाराष्ट्र के मुंबई की रहने वाली हूं। वर्ष 2012 में चंडीगढ़ से काम करने के लिए मैं यहां आकर बस गई। काम के सिलसिले में मुझे रोज यात्रा करनी पड़ती थी। उस दौरान मुझे अक्सर सड़कों के किनारे और पार्कों में बच्चे, महिलाएं भीख मांगते दिख जाते थे। उन्हें देखकर मुझे याद आता था कि घर पर बचा खाना अक्सर हम फेंक देते थे या पशुओं को खिलाते थे। मैंने सोचा कि बच्चों को रुपये देने से बेहतर है कि भोजन देकर उनका पेट भरा जाए। इसकी शुरुआत मैंने खुद से की और घर में बचा भोजन बच्चों के बीच बांटना शुरू कर दिया। हालांकि जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि यह मदद अपर्याप्त थी, इसलिए मैंने पड़ोसियों से भी सहयोग के लिए बातचीत की। इसके बाद कुछ लोग बच्चों और बेघरों तक ताजा भोजन पहुंचाने के लिए तैयार हुए। कुछ सप्ताह बाद मैंने पाया कि पके हुए भोजन की गुणवत्ता ठीक नहीं है, तो मैंने उसके बदले राशन ही उपलब्ध कराने का निर्णय लिया।
'द फीड’ एम मूवमेंट की स्थापना की
मैंने इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए वर्ष 2017 में 'द फीड’ एम मूवमेंट की स्थापना की और आधिकारिक तौर पर बेघर, गरीब लोगों तक राशन पहुंचाने का अभियान शुरू किया। इसके तहत हम चावल, आटा, तेल और नमक के पैकेट बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं, ताकि उन्हें भूखे न सोना पड़े।
क्राउड फंडिंग के जरिए एकत्रित किया धन
इस काम को सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें धन की आवश्यकता थी, इसलिए मैंने सोशल मीडिया के माध्यम से मदद मांगी और लोगों को क्राउड फंडिंग के लिए प्रोत्साहित किया। परिणामस्वरूप कुछ लोग जहां आर्थिक रूप से हमारी मदद करते हैं, वहीं कई लोग राशन दे जाते हैं।
मलिन बस्तियों में भी किया काम
मैं और टीम के सदस्य मुंबई की उन मलिन बस्तियों में भी जाते हैं, जहां दिव्यांगों, बुजुर्गों, विधवाओं का बसेरा है। हमने पिछले कुछ वर्षों में तकरीबन सौ से अधिक अभियान चलाए और एक लाख से अधिक लोगों तक राशन पहुंचाया है। टीम के अधिकतर सदस्य ऑफिस से पहले या बाद में हमारा सहयोग करते हैं।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.