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चौथी बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी सानिया

Published - Thu 22, Jul 2021

टेनिस स्टार सानिया मिर्जा चौथी बार ओलंपिक में भारत की ओर से मेडल की दावेदारी पेश करेंगी। इस बार सानिया की निगाहें गोल्ड मेडल पर टिकी होंगी। वो 2016 के रियो ओलंपिक में अपना पहला ओलंपिक मेडल जीतने से चूक गईं थीं।

saniya mirza

नई दिल्ली। भारतीय टेनिस की सनसनी सानिया मिर्जा लंबे समय से टेनिस खेल रही हैं और कई बड़े मुकाबले जीतकर भारत का सिर ऊंचा किया है। तीन बार सानिया पहले ओलंपिक खेल चुकी हैं और एक बार फिर वो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। महिला डब्लस में अंकिता रैना के साथ पदम का दारोमदार सानिया पर होगा। टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली सानिया मिर्जा लगभग एक दशक तक तक महिला एकल और डबल में शीर्ष भारतीय टेनिस खिलाड़ियों कि लिस्ट में शीर्ष पर रही हैं। हालांकि अब वो एकल प्रतियोगिताओं रिटायरमेंट ले चुकी हैं।
पिता थे खेल पत्रकार और सानिया ने खेलों को चुना
15 नवंबर 1986 को मुंबई में जन्मीं सानिया के पिता इमरान मिर्जा खेल पत्रकार थे। मां नसीमा मुंबई में प्रिंटिंग के क्षेत्र से जुड़ी थीं। मुंबई से परिवार को हैदराबाद जाना पड़ा। शिया मुस्लिम परिवार में जन्मीं सानिया का बचपन हैदराबाद में बीता। चूंकि पिता खेल पत्रकार थे, तो छह साल की उम्र में ही सानिया ने टेनिस खेलना शुरू किया। पारिवारिक पृष्ठभूमि खेलों से थी, तो परिवार ने भी सानिया को खेलों में आगे बढ़ाया। क्रिकेट खिलाड़ी गुलाम अहमद उनके पिता के रिश्ते के भाई थी और खुद भी खिलाड़ी रह चुके हैं। मामा भी हैदराबाद रणजी टीम में खेल चुके हैं। खेलों के प्रति उनका दीवानगी को देखते हुए पिता ने भी उनका बखूबी साथ दिया। पिता की मदद से उन्होंने भारतीय टेनिस खिलाड़ी सीके भूपति की देखरेख में कोचिंग शुरू की। चूंकि पिता इतना नहीं कमा पाते थे कि उनको प्रोफेशनल ट्रेनिंग करवा सकें, तो उनको चिंता थी कि वो सानिया के खेल प्रेम को कैसे आगे बढ़ा पाएंगे। पिता ने कुछ व्यवसायिक संस्थानों से बात कर सानिया के लिए स्पांशरशिप ली। जब सानिया महज 12 साल की थीं, तो एडीडास और जीवेके ने उनको स्पॉंसर किया। राज्य व स्कूल स्तर की प्रतियोगिताओं में उन्होंने कई मुकाबलों में अच्छा प्रदर्शन किया। शुरुआती शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन सानिया ने हैदराबाद से किया। उन्हें 11 दिसम्बर 2008 को चेन्नई में एम जी आर शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली।

हैदराबाद के निजाम क्लब से शुरू किया खेलना
सानिया टेनिस में बेहतर कर रही थीं। इसी के दम पर उन्हें  हैदराबाद के निजाम क्लब से खेलने का मौका मिला। इसके बाद अमेरिका की एस टेनिस एकेडमी में उनका चयन हुआ। भारतीय टेनिस में उनके सफर की शुरुआत 1999 में हुई, जब उन्हें जूनियर स्तर की प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। सानिया उस समय मात्र चौदह साल की थीं। उन्होंने पहला आई.टी.एफ. जूनियर टूर्नामेंट इस्लामाबाद में खेला था। 2002 में भारत के शीर्ष टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने बुसान एशियाड के पूर्व 16 वर्षीय सानिया को खेलते देखा और निश्चय किया कि वह सानिया मिर्जा के साथ डबल्स में उतरेंगे। फिर उन्होने इस देश को कांस्य पदक दिलाया। उसके बाद सानिया ने 17 वर्ष की उम्र में विंबलडन का जूनियर डबल्स चैंपियनशिप खिताब जीता था। 2003 उनके जीवन का सबसे रोचक मोड़ बना जब भारत की तरफ से वाइल्ड कार्ड एंट्री करने के बाद सानिया मिर्जा ने विम्बलडन में डबल्स के दौरान जीत हासिल की। उन्होंने दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए एशियाई खेलों में लिएंडर पेस के साथ मिश्रित युगल का स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के एकल मुकाबले में दोहा एशियाई खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। 2007 में सानिया की सिंगल्स रैकिंग 27 पहुंच गई। 2009 में उन्होंने महेश भूपति के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन का मिक्स डबल्स जीता और ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं। सानिया ने अब तक छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं, उसमें तीन महिला डबल्स और इतने ही मिक्स्ड डबल्स खिताब शामिल हैं। उन्होंने अपना आखिरी ग्रैंड स्लैम 2016 में ऑस्ट्रेलियन ओपन में वुमंस डबल्स खिताब जीतकर हासिल किया। हाल ही में सानिया ने विम्डलन चैपिशनशिप 2021 में हिस्सा लिया।
भारत की सर्वश्रेष्ठ महिला टेनिस खिलाड़ी
लंबे समय से टेनिस खेल रहीं सानिया के उत्साह में कोई कमी नहीं है। सानिया छह बार ग्रैंड स्लैम चैंपियन रह चुकी हैं। तीन बार का ओलंपिक तक का सफर तय कर चुकी हैं। रियो ओलंपिक में सानिया ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया था। उनके नाम 42 डब्ल्यूटीए खिताब हैं। डब्ल्यूटीए की सिंगल रैंकिंग में शीर्ष तीस खिलाड़ियों में अपनी जगह बनाने वाली वो भारत की एक मात्र खिलाड़ी हैं। अपने खेल के दम पर सानिया डब्ल्स में ज्यादा सफल रही हैं। 2017 में सानिया को घुटने की चोट से जूझना पड़ा और लंबे समय तक खेल से दूर रहीं। 2018 में बेटे को जन्म दिया और कुछ समय के लिए खेल से दूर रहीं। 2020 में जब कोर्ट पर लौटीं, और नादिया किचेनोक के साथ होबार्ट इंटरनेशनल खिताब जीता।
कई बड़े पुरस्कार उनके नाम
वर्ष 2004 में बेहतर प्रदर्शन के लिए उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वर्ष 2005 में सानिया को वर्ष के नव आगंतुक का डब्ल्यूटीए पुरस्कार से सम्मानित किया गया। खेलों में उनके उत्कृष्ठ योगदान को देखते हुए उन्हें 2006 में पदमश्री पुरस्कार से नवाजा गया। 2014 में उन्हें हैदराबाद  महिला दशक एचीवर्स अवार्ड से सम्मानित किया गया।