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'पैडगर्ल' की जिद ने दिलाई सफलता

Published - Sun 11, Aug 2019

दिल्ली की रहने वाली सौम्या आज युवतियों की रोल मॉडल बन चुकी हैं। उन्होने एक ऐसा सेनेटरी पैड तैयार किया है, जिसे डेढ़ से दो वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है। सौम्या में महिलाओं के प्रति इतना आदर है कि वह महिलाओं को मुफ्त में पैड भी उपलब्ध करा रही हैं।

 नई दिल्ली। सौम्या डाबरीवाल देश के एक ऐसे व्यस्त शहर में रहती हैं, जहां लोगों को एक दूसरे के बारे में सोचने के लिए समय ही नहीं है। खासकर यहां के युवा विदेशों में पढ़ाई कर अपने लिए या तो कोई मोटे पैकेज वाली नौकरी तलाशते हैं या विदेशों में जाकर बस जाते हैं। लेकिन दिल्ली की रहने वाली सौम्या ने इससे अलग कुछ ऐसा किया कि वो आज युवतियों की रोल मॉडल बन चुकी हैं। उन्होने एक ऐसा सेनेटरी पैड तैयार किया है, जिसे डेढ़ से दो वर्ष तक इस्तेमाल किया जा सकता है। सौम्या में महिलाओं के प्रति इतना आदर है कि वह महिलाओं को मुफ्त में पैड भी उपलब्ध करा रही हैं। अभी तक वह पंद्रह हजार पैड बांट भी चुकी हैं। सौम्या ने कुछ दोस्तों की मदद से प्रोजेक्ट  'बाला'  शुरू किया है। वह हरियाणा, पंजबा, यूपी, राजस्थान आंध्र आदि क्षेत्रों में ग्रामीण अचल की महिलाओं को सेनेटरी पैड के विषय में जागरूक भी कर रही हैं और महिलाओं को इसके फायदे भी बता रही हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण और गरीब तबके की महिलाओं को जमीन पर सोना पड़ता है। इसलिए उन्होंने दोबारा इस्तेमाल होने वाले पैड के बारे में सोचा।

अफ्रीकी देश घाना के दौरे ने बदल दी जिंदगी

वह कहती हैं कि 2013 में पढ़ाई के लिए ब्रिटेन गई थीं। स्टडी टूर के लिए अफ्रीकी देश घाना जाने को मिला। वहां उन्होंने माहवारी के दौरान महिलाओं और युवतियों में जागरूकता का अभाव देखा। महिलाएं की स्थिति देख इस विषय की गंभीरता का पहली बार अहसास हुआ। लौटकर उन्होंने लक्ष्य रखा कि दोबारा इस्तेमाल किया जा सकने वाला सस्ता सेनेटरी पैड बनाना है। सौम्या को काफी प्रयास के बाद ऐसा पैड बनाने में सफलता मिली। पैड बनाने के बाद जब इसका टेस्ट किया गया, तो यह सुरक्षित पाया गया। 

दिल्ली की कंपनी से  किया संपर्क

पैड के टेस्ट में पास हो जाने के बाद सौम्या ने दिल्ली की एक कंपनी से संपर्क किया जो पैड बनाने के लिए तैयार हो गई। ब्रिटिश यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर लौटी सौम्या का ध्येय गरीब और पिछड़े ग्रामीण परिवारों की महिलाओं को इस विषय में जागरूक करना है। वह दूर-दराज गांवों में भ्रमण कर महिलाओं को जागरूक करने का कार्य कर रही हैं।