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हाथियों से प्यार के लिए लाखों की जॉब छोड़ दी और बन गईं महावत

Published - Sat 08, Feb 2020

जानिए देश की पहली मुस्लिम महिला महावत के बारे में, जिन्होंने हाथियों को बनाया अपना साथी और करती हैं उनसे अपने मन की ढेर सारी बातें। हाथी भी इनसे इतना स्नेह करते हैं कि अपनी महावत के इशारों पर नाचते हैं।

नई दिल्ली। अपने जमाने के सुपरस्टार रहे मरहूम अभिनेता राजेश खन्ना की आपने हाथी मेरे साथी फिल्म तो देखी होगी। हाल ही में ‌अभिनेता विद्युत जामवाल की फिल्म जंगली देखी होगी। इन फिल्मों में एक हाथी कैसे इंसान का सच्चा दोस्त बन जाता है और उसके इशारों पर नाचता है, ये देखकर आपको खूब मजा आया होगा। जी हां, प्यार से आप जानवरों को भी अपना बना लेते हैं। लेकिन केरल की शबना सुलेमान को तो एक हाथी से इतना प्यार हो गया कि उसने अपनी लाखों की जॉब ही छोड़ दी और अब वह अपने इस साथी बने हाथी को अपने इशारे पर उठाती, बैठाती और घुमाती हैं। पांच फुट, दो इंच की शबना सुलेमान ने पहली मुस्लिम महिला महावत बनने का खिताब पाया है।
 
हाथी को दोस्त बनाया
शबना सुलेमानी कहती हैं, मेरे दादा सर्कस कंपनी चलाते रहे हैं। ग्रेट मालाबार नाम की यह कंपनी केरल की पहली सर्कस कंपनी थी। इसलिए मैंने बचपन से हाथियों को बहुत करीब से देखा। शबना की मानें तो वह बचपन से ही हाथियों को अपनी बातें बताती थीं। जब वह तुतलाना सीखीं तो दादा के सर्कस में जाकर हाथियों से ढेर सारी बातें करती थीं और उन्हें लगता था कि हाथी भी उसकी बातों को समझते थे। इस तरह हाथी से वह दोस्ती गांठ लेती थीं।
 
डॉक्टर बनकर दुबई में करती थी नौकरी
27 वर्षीय शबना सुलेमान पेशे से डॉक्टर हैं और वह दुबई में नौकरी कर रही थीं। लेकिन जब उन्होंने हाथियों की महावत बनने के लिए मन में ठाना तो अपनी लाखों की नौकरी छोड़कर केरल में कोझिकोड के अपने गांव में लौट आईं।
 
महावत बनने का ख्याल कैसे आया
शबना सुलेमान बताती हैं, छुट्टियों में वह केरल में जब अपने घर आईं तो उनके दादा ने बताया कि वह हाथियों पर किताब लिखना चाहते हैं। दादा के इस सपने को देखते हुए शबना भी हाथियों की बीच पहुंच गईं और फिर उन्हें अपना बचपन याद आ गया। हाथियों से बातें करने लगीं और उन्होंने हाथियों पर रिसर्च करने की ठानी। इसी के चलते उन्होंने महावत बनने की ट्रेनिंग लेने का मन बनाया। इसके बाद वह ओट्टापलम में मणिशेरी हरिदास के पास पहुंचीं, जिनके पास तीन हाथी हैं। उन्होंने हाथी को काबू कैसे किया जाता है, इस बारे में उनसे सीखना शुरू किया।
 
हाथी राजेंद्रन से बॉन्डिंग
शबना कहती हैं, वैसे तो जानवरों को वश में करना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन मैं उनसे अपनी भाषा में रोजमर्रा की बातें करती हूं, उन्हें बहुत स्नेह देती हूं और उन्हें कभी भी चेन या रस्सी से नहीं बांधती हूं। हाथी के माथे को बड़े प्यार से सहलाती हूं। एक महीने की अंदर ही हाथी राजेंद्रन से मेरी ऐसी बॉन्डिंग हो गई कि उसे जब कहती हूं, बैठ जाओ तो वह बैठ जाता है और घूम जाओ तो वह घूम जाता है। वह मेरी हर बात मानता है। शबना पलक्कड़ जिले के ओट्टापलम में ट्रेनिंग ले रही हैं। ओट्टापलम को हाथियों का घर माना जाता है।
 
टेंपल फेस्टिवल में लेंगी भाग
शबना कहती हैं, वह हाथी की महावत बनने की ट्रेनिंग भली-भांति ले रही हैं। अब वह केरल के मशहूर टेंपल महोत्सव में राजेंद्रन के साथ भाग लेना चाहती हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो वह पलक्कड़ में टेंपल फेस्टिवल में मणिशेरी राजेंद्रन की महावतों में से एक होंगी।