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‘प्लास्टिक कचरे’ से मकान तैयार कराती हैं शिफरा जेकब्स

Published - Sun 22, Nov 2020

तेजी से बढ़ते प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने और उसको सही ठिकाने लगाने के लिए कर्नाटक की शिफरा जेकब्स ने एक अभियान शुरू किया है। वो इस कचरे से मकान तैयार कराती हैं।

Shifrah Jacobs

नई दिल्ली। प्लास्टिक आज एक वैश्विक समस्या बन चुकी है। नदी नालों से लेकर खेत-खलिहानों तक, जल, जंगल, जमीन को प्लास्टिक प्रदूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। जितना प्लास्टिक रोजाना इस्तेमाल किया जाता है, उसका दस प्रतिशत भी रोजाना रिसाइकिल नहीं होता। नतीजा प्लास्टिक को या तो जला दिया जाता है या वो यूं ही पड़ा-पड़ा धरती को जहरीला बनाता रहता है। प्लास्टिक से होने वाले नुकसान को देखते हुए कर्नाटक की शिफरा जेकब्स ने एक अभियान शुरू किया है। वो प्लास्टिक को रिसाइकिल कर सस्ते मकान बनाकर दे रही हैं।

महज 4.5 लाख रुपये में घर
'प्लास्टिक फॉर चेंज इंडिया फाउंडेशन' को चलाने वाली कर्नाटक की शिफरा जेकब्स प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल कर ऐसे मकान तैयार कर रही हैं, जो रहने लायक हैं। इनको बनाने में खर्च भी महज 4.5 लाख रुपये आ रहा है। ऐसे ही एक घर का निर्माण बंगलुरू में किया गया है। शिफरा जेकब्स संगठन उन लोगों के लिए काम कर रहा है, जो कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों में कचरा बीनने का काम करते हैं। उनका मकसद इन लोगों के जीवन स्तर को सुधारना और उनके सिर पर छत देना है। उनके फाउंडेशन ने कमला नाम की एक महिला को प्लास्टिक कचरे से घर तैयार करके दिया है। जो देखने में सुंदर भी है और टिकाऊ भी। इस घर का निर्माण उनके फाउंडेशन ने हैदराबाद की एक कंस्ट्रकशन कंपनी के साथ मिलकर किया है।  घर बनाने के लिए मुश्किल से रीसाइकिल होने वाले कचरे का यूज भी किया गया है। घर बनाने से पहले निर्माण सामग्री की गुणवत्ता और उसकी मजबूती का भी टेस्ट किया गया था, ताकि लंबे समय तक घर टिका रहे। शिफरा का कहना है कि उनकी कोशिश है कि 2021 तक कचरा बीनने वालों के लिए बीस घर बनाकर दें।