मध्य प्रदेश के सतना से सवारियों को लेकर सीधी जा रही बस 16 फरवरी 2021 की सुबह पटना गांव के पास अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी। बस में ड्राइवर समेत 61 लोग सवार थे। अचानक हुए हादसे और गहरी नहर में तेज बहाव के कारण 54 लोगों की डूबने से मौत हो गई। यह संख्या और बढ़ भी सकती थी, लेकिन एक बहादुर बेटी सात लोगों को मौत के जबड़े से खींचकर जिंदा किनारे ले आई। 17 साल की इस बेटी का नाम है शिवरानी लोनिया। नहर में डूब रहे यात्रियों को बचाने में उसके भाई लवकुश लोनिया ने भी उसका साथ दिया। शिवरानी की बहादुरी की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उसकी जमकर तारीफ करते हुए पांच लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा की है।
नई दिल्ली। सीधी जिला मुख्यालय से पटना गांव तकरीबन 80 किलोमीटर दूर है। शिवरानी लोनिया इसी गांव की रहने वाली है। आज उनकी बहादुरी की चर्चा पूरे देश में हो रही है। शिवरानी ने नहर को बचपन से बनते देखा है। रोजाना एक से दो घंटे वह नहर के पानी में गुजारती है। नहर के पानी के बहाव और गहराई को वह बखूबी जानती है। वही नहर जब एक-एक कर लोगों की जान ले रही थी तो शिवरानी बिना अपनी जान की परवाह किए उसमें कूद पड़ी। पानी के बहाव को चीरते हुए वह एक-एक कर सात लोगों को खींचकर किनारे ले आई। हालांकि, उसे मलाल केवल इस बात का है कि यदि थोड़ा और वक्त मिल जाता तो वह कुछ और जिंदगियां बचा पाती।
बस को नहर में गिरते देख पानी में लगा दी छलांग
घटना के बारे में शिवरानी बताती हैं कि 16 फरवरी की सुबह आसमान में बादल छाए हुए थे। हल्की बूंदा-बांदी भी हो रही थी। वह घर के बाहर कुर्सी पर बैठी थीं। इसी दौरान एक तेज रफ्तार बस उनके घर के सामने से गुजरी। बस की रफ्तार को देख शिवरानी के मन में किसी अनहोनी की आशंका पैदा हुई। वह कुर्सी से उठकर सड़क पर आ गईं। बस तकरीबन तीन सौ मीटर आगे पहुंची ही थी कि तभी सामने से आ रहे एक वाहन को साइड देने के चक्कर में अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी। यह देखते ही शिवरानी बिना कुछ सोचे दौड़ते हुए हादसे वाली जगह पर पहुंचीं और नहर में छलांग लगा दी। पानी का बहाव काफी तेज था। महिला-पुरुष समेत 7 लोग पानी में बह रहे थे। शिवरानी ने एक-एक कर डूब रहे लोगों का हाथ पकड़कर किनारे पहुंचाना शुरू किया। तकरीबन आठ मिनट में यह बहादुर बेटी सात लोगों को बचाकर किनारे ले आई। लेकिन तब तक अन्य लोग डूब चुके थे।
कक्षा 12वीं में पढ़ती हैं शिवरानी
शिवरानी अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं। वह सरदार पटेल स्कूल में कक्षा 12वीं की छात्रा हैं। बचपन से ही पढ़ाई में रुचि रही है। उसने हाईस्कूल तक की पढ़ाई पिपराव में किया है। शिवरानी के चार भाई और तीन बहन हैं। बाकी के भाई-बहन सातवीं-आठवीं तक ही पढ़े हैं। शिवरानी के पिता राम नरेश लोनिया निजी कंपनी में मामूली नौकरी करते हैं। मां श्यामवती गृहिणी हैं। शिवरानी के मुताबिक वह पढ़ लिखकर पुलिस अफसर बनना चाहती हैं। गांव में आम लोगों की परेशानी, जरुरतें और मदद करने का जज्बा ही उन्हें इस सपने को पूरा करने की प्रेरणा देती है।
पहले भी कई लोगों की बचा चुकी हैं जान
शिवरानी का घर नहर के किनारे स्थित है। इस कारण अक्सर वह नहर में गिरने वालों की मदद करती रहती हैं। शिवरानी बताती हैं कि तकरीबन चार महीने पहले दोपहर में एक 23 वर्षीय युवक साइकिल से फैक्ट्री में ड्यूटी करने जा रहा था। अचानक वह साइकिल समेत नहर में गिर गया। यह देख शिवरानी युवक को बचाने के लिए नहर में कूद पड़ीं और उसे बचाकर बाहर लाईं।
सीएम शिवराज ने की तारीफ
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित कई लोगों ने शिवरानी लोनिया की बहादुरी की प्रशंसा की है। सीधी के कलेक्टर रविंद्र कुमार चौधरी ने बताया, ‘शिवरानी लोनिया, उसके भाई लवकुश लोनिया ने इस बस हादसे के बाद सात लोगों को नहर के पानी से बाहर निकाला।’ मुख्यमंत्री चौहान ने ट्वीट किया, ‘परहित सरिस धर्म नहिं भाई' बेटी शिवरानी के साहस को प्रणाम करता हूं। पूरे प्रदेश को आप पर गर्व है।’ मुख्यमंत्री ने शिवरानी लोनिया, लवकुश लोनिया और सतेन्द्र को 5-5 लाख रुपये का पुरस्कार देने की घोषणा की है।
नारी गरिमा को हमेशा बरकरार रखने और उनके चेहरे पर आत्मविश्वास भरी मुस्कान लाने का मैं हर संभव प्रयास करूंगा/करूंगी। अपने घर और कार्यस्थल पर, पर्व, तीज-त्योहार और सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजनों समेत जीवन के हर आयाम में, मैं और मेरा परिवार, नारी गरिमा के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता से काम करने का संकल्प लेते हैं।
My intention is to actively work towards women's dignity and bringing a confident smile on their faces. Through all levels in life, including festivals and social, cultural or religious events at my home and work place, I and my family have taken an oath to work with responsibility and sensitivity towards women's dignity.